scorecardresearch
 

अध्यादेश के बाद सरकार की सफाई, नड्डा ने कहा- नहीं खत्म कर रहे NEET

स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने इस बात को पूरी तरह से नाकार दिया कि सरकार नीट को खत्म कर रही है या उसे आगे खिसका रही है. नड्डा ने स्पष्ट किया कि नीट लागू हो चुका है, इसके पहले चरण मे परीक्षाएं हो चुकी हैं और दूसरे चरण मे समय पर ही यानी 24 जुलाई को देशभर मे कॉमन मेडिकल परीक्षा होगी.

Advertisement
X
जे.पी. नड्डा, स्वास्थ्य मंत्री
जे.पी. नड्डा, स्वास्थ्य मंत्री

Advertisement

सरकार नीट को खत्म कर रही है. सरकार निजी कॉलेजों के हाथों बिक गई है. नीट यानी कॉमन एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट के लिए अध्यादेश जारी होने के बाद से दिनभर इसी तरह की चर्चा चलीं और इससे सबसे ज्यादा भ्रमित स्टूडेंट्स ही रहे.

नड्डा ने दी सफाई
लेकिन आखिरकार देर रात स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने इस बात को पूरी तरह से नाकार दिया कि सरकार नीट को खत्म कर रही है या उसे आगे खिसका रही है. नड्डा ने स्पष्ट किया कि नीट लागू हो चुका है, इसके पहले चरण मे परीक्षाएं हो चुकी हैं और दूसरे चरण मे समय पर ही यानी 24 जुलाई को देशभर मे कॉमन मेडिकल परीक्षा होगी. इसमें वो सभी स्टूडेंट्स भी दोबारा परीक्षा दे सकते है जो मई मे परीक्षा से संतुष्ट नहीं थे.

Advertisement

उल्लेखनीय है कि 1 मई को हुई नीट (NEET) की परीक्षा में देशभर से लगभग 6.50 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे. अध्यादेश में बस सभी राज्यों को इस साल अपने मेडिकल बोर्ड के जरिए परीक्षा करवाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों को ये छूट नहीं दी गई हैं. उन्हें नीट के तहत ही परीक्षाएं 24 जुलाई को करवानी होगी.

स्वास्थ्य मंत्री ने की बैठक
उल्लेखनीय है कि तमाम राज्यों से विचार-विमर्श के बाद आखिरकार केंद्र सरकार नीट यानी कॉमन एलिजिबेलिटी एंट्रेस टेस्ट के लिए अध्यादेश लेकर आ ही गई और अब इंतजार राष्ट्रपति की मोहर का है. सूत्रों के अनुसार खुद हेल्थ मिनिस्टर इस पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति से मिल सकते है. हाल ही मे जे. पी. नड्डा ने सभी राज्यों के हेल्थ मिनिस्टर के साथ एक मिटिंग ली थी और इसमें सभी नीट के पक्ष में तो थे लेकिन इसको लागू करने के लिए थोड़ा समय चाह रहे थे और इसी के बाद सरकार ने इसके लिए अध्यादेश लाने का फैसला लिया.

केंद्र ने मानी राज्यों की बात
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस साल अपने बोर्ड से परीक्षा आयोजित करने को कहा है. राज्यों का यही कहना था कि स्टेट बोर्ड की मेडिकल परीक्षाओं में केवल 12 का सिलेबेस होता है और वो राज्य की अपनी भाषा में होती है, जबकि सीबीएसई की ओर से लिया जाने वाला कॉमन टेस्ट मे 11वीं और 12वीं दोनो का सिलेबेस होता है, और ये बस हिंदी और इंग्लिश में होते हैं. राज्यों का कहना था कि इतने कम समय मे बच्चे भाषा के साथ सिलेबेस पूरा नही कर सकेंगे और इसी बात को ध्यान मे रखकर राज्यों मे मेडिकल की परीक्षाएं देने वाले बच्चों को इस साल राहत दी गई है.

Advertisement
Advertisement