दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मानव संसाधन और विकास मंत्री को निर्देश देते हुए कहा कि 2015 से आईआईटी और एनआईटी में काउंसलिंग कॉमन की जाए. एनआईटी और अलग अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों को आईआईटी में सेंकड ईयर लेटरल इंट्री के लिए प्रावधान बनाने की मांग की गई है. कोर्ट ने मंत्रालय और आईआईटी को इस संबंध में विचार विमर्श करने को कहा है और 30 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
इसके अलावा कोर्ट ने मंत्रालय को खाली रह गए आरक्षित सीटों पर जनरल छात्रों को ट्रांसफर करने के बारे में भी सोच- विचार करने को कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र से आईआईटी और एनआईटी की खाली सीटों को भरा जांए.
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय इंडलॉ ने आईआईटी और एनआईटी पर कटाक्ष साधते हुए कहा, 'दूसरों को तकनीकी मसलों पर सलाह देने वाले देश के यह दो प्रतिष्ठित संस्थान अपने यहां सीटें भरने का हल नहीं निकाल पा रहे हैं. दोनों संस्थानों के विद्यार्थी हर काम आने वाली चीजों को विकसित करते हैं, लेकिन इन्हीं संस्थानों पर पूरी सीटें नहीं भरती हैं.
याचिकाकर्ता डॉ. राजीव कुमार ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि इन संस्थानों में हर साल सैकड़ों सीटें खाली रहती हैं. कोर्ट ने कहा कि सरकार को सीटें भरने के लिए नीति बनानी चाहिए.