यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) वर्तमान और आने वाले एकेडमिक सेशन के लिए जल्द ही नई गाइडलाइन जारी करेगा. ये मई के पहले वीक में जारी हो सकती हैं. ये गाइडलाइन्स दो समितियों द्वारा दिए गए सुझावों पर आधारित होंगी. ये समितियां कुछ दिन पहले बनाई गई थीं.
अगर UGC इन दो समितियों की सिफारिश मानता है तो यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में क्लासेज जुलाई के बजाय सितंबर से शुरू होंगी. जानकारी के अनुसार इन दोनों समितियों ने अकादमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के लिए अलग-अलग सुझाव दिए हैं. UGC द्वारा बनाई गईं दो समितियों ने अकादमिक कैलेंडर और एग्जामिनेशन के लिए ये सुझाव दिए हैं.
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इनमें से एक पैनल, जिसे परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर से संबंधित मुद्दों को देखने की जिम्मेदारी दी गई थी. उस पैनल ने ये सुझाव दिया है कि अकादमिक कैलेंडर जुलाई के बजाए सितंबर के महीने में शुरू किया जाए. वहीं, दूसरे पैनल ने कहा है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के लिए संभव है तो वे ऑनलाइन एग्जाम आयोजित करा सकते हैं या फिर लॉकडाउन खत्म होने के बाद संस्थान में एग्जामिनेशन आयोजित कराने की तारीखों के बारे में निर्णय ले सकते हैं. बता दें कि दूसरे पैनल को ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर हल निकालने के लिए कहा गया था.
बता दें कि अगर अकादमिक सत्र इस बार सितंबर के महीने में शुरू किया जाता है तो अकादमिक कैलेंडर कुछ महीने छोटा हो जाएगा. ये तब तक संभव नहीं है, जब तक यूजीसी केवल सेलेक्टेड एग्जाम के लिए परीक्षा आयोजित करने का फैसला नहीं लेता है.
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पैनल ने ये सुझाव भी दिया है कि नए अकादमिक कैलेंडर के साथ साथ अब ऑनलाइन शिक्षा में सुधार की जरूरत है. इसका मतलब यही है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को डिजिटल क्लासेज और ऑनलाइन वीडियो लेक्चर्स के सहारे अपने सेशन पूरे करने होंगे. इन सबका दूसरा पहलू देखा जाए तो ऑनलाइन क्लासेज लेने में स्टूडेंट्स को काफी समस्याएं हो रही हैं. ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने की मुश्किलों के बारे में स्टूडेंट्स लगातार शिकायत कर रहे हैं. हाल ही में जब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की, तो कई छात्रों ने इसके खिलाफ शिकायत की. यही नहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ ने भी इसका विरोध किया था.
वहीं, राजस्थान में जिन स्टूडेंट्स के पास ऑनलाइन क्लासेज अटेंड करने का साधन नहीं है, उनकी पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री ने सरकार से क्लासेज संचालित करने के लिए दूरदर्शन पर मुफ्त स्लॉट प्रदान करने का अनुरोध किया था. इन दो राज्य या यूनिवर्सिटी ही नहीं, देश के कई राज्यों में छात्रों को इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं.
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वहीं, कई कोर्सेज ऐसे होते हैं, जिसमें स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी के बाहर जाकर अपने प्रोजेक्ट्स पूरे करने होते हैं. इसीलिए पैनल के सुझाव पर अगले सत्र के लिए एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव किए जा सकते हैं. इसके पीछे की मुख्य वजह सिलेबस को समायोजित करना ही है. इसके अलावा प्रोजेक्ट के लिए दी गई अवधि को भी कम किया जा सकता है.