इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को उस जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें 25 मई की संयुक्त प्री. मेडिकल परीक्षा (सीपीएमटी) रद्द करने की मांग की गई है.
सीपीएमटी परीक्षा तब जांच के घेरे में आ गई थी जब करीब 12 लोगों को कथित तौर पर प्रश्नपत्र लीक करने का प्रयास करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. न्यायमूर्ति वी के शुक्ल और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश देते हुए लखनऊ यूनिवर्सिटी को छह सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. लखनऊ यूनिवर्सिटी को ही इस वर्ष की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि 28 जुलाई तय की और उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल एसटीएफ से कहा कि वह अपनी जारी जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपे. अदालत ने इसके साथ ही जांच में आने वाली किसी तरह के 'हस्तक्षेप' के प्रति भी आगाह किया.
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि यदि अनियमितताएं साबित होती हैं तो पूरी परीक्षा रद्द करनी होगी. एसटीएफ ने चार डॉक्टरों सहित कम से कम 12 लोगों को लखनऊ के गौतमपल्ली क्षेत्र से तब गिरफ्तार किया था जब परीक्षा चल रही थी.
गिरफ्तार व्यक्तियों के पास से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले थे जिनके जरिये वे कथित तौर पर अभ्यर्थियों को एक कीमत के बदले प्रश्नपत्रों के जवाब मुहैया कराने का प्रयास कर रहे थे.
INPUT: भाषा