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एनिमेशन से डिजाइन करें अपना करियर

एडवांस्ड एनिमेशन टेक्नोलॉजी के विकास से नए-नए क्षेत्र खुल रहे हैं. 2013 के अंत इस इंडस्‍ट्री का आकार एक अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकता है.

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एडवांस्ड एनिमेशन टेक्नोलॉजी के विकास ने नए स्पेशलाइजेशन को बढ़ावा दिया है और इससे नए-नए क्षेत्र खुल रहे हैं

पिछले साल की दो ब्लॉकबस्टर फिल्मों 'लाइफ ऑफ पाई' और 'प्रोमेथियस' में कॉमन क्या है? इन दोनों फिल्मों को बेस्ट विजुअल इफेक्ट कैटेगरी में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था और अवॉर्ड 'लाइफ ऑफ पाई' के हिस्से में आया.

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हालांकि, समानता यहीं खत्म नहीं होती. इन दोनों फिल्मों का भारतीय कनेक्शन भी है, बंगलुरू स्थित एनिमेशन फर्म टेक्निकलर इंडिया उस टीम में शामिल थी जिसने इन फिल्मों के लिए एनिमेशन पर काम किया है. टेक्निकलर इंडिया की एनिमेशन टीम के ऊपर 'लाइफ  ऑफ पाई' के 130 शॉट और प्रोमेथियस के करीब 400 शॉट तैयार करने की जिम्मेदारी थी. आधिकारिक रूप से ऑस्कर की मुहर के बाद भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री आखिरकार सबकी नजरों में आ गई है.

नया क्या है?
- मेडिकल एनिमेशन: एनिमेशन ऐंड मल्टीमीडिया इंस्टीट्यूट, पुणे
- एनिमेशन ऐंड वीएफएक्स: मीडिया डिजाइन स्कूल, न्यूजीलैंड
- गेम डिजाइन: वैंकुवर फिल्म स्कूल, कनाडा
- आर्किटेक्चरल विजुअलाइजेशन: स्टेट ऑफ  आर्ट, इटली
- 3डी एनिमेशन: एरीना एनिमेशन, गुडग़ांव
- कम्पोस्टिंग इमेजेज: रिलायंस, एआइएमएस, पुणे

यह इंडस्ट्री सालाना 23 फीसदी की तेज गति से बढ़ रही है और 2013 के अंत तक इसका आकार एक अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकता है. टीवी से लेकर फिल्मों और ऐडवर्टाइजिंग तक हर एंटरटेनमेंट सेक्टर को किसी एनिमेटर के एक्सपर्टीज की जरूरत होती है. इसका मतलब यह है कि जो लोग इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए आकर्षक और रीवॉर्डिंग मौके मौजूद हैं. एनिमेशन में डिग्री रखने वाले स्टुडेंट्स के सामने करियर के व्यापक विकल्प उपलब्ध होते हैं, जैसे कैरेक्टर मॉडलिंग, रिगिंग, 2डी और 3डी एनिमेशन और गेम डिजाइन. देश और विदेश के इंस्टीट्यूट एनिमेशन के क्षेत्र में अलग तरह के कोर्स ऑफर करते हैं. कनाडा में वैंकुवर फिल्म स्कूल का गेम डिजाइन कोर्स लोकप्रिय है, वहीं गुडग़ांव का एरीना एनिमेशन 3डी एनिमेशन के लिए जाना जाता है.

व्हिसलिंग वुड्स में स्कूल ऑफ एनिमेशन के एचओडी धनंजय खोरे कहते हैं, ‘एनिमेशन में तीन स्टेज होते हैं-प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन. इनमें स्पेशलाइजेशन हासिल करना आजकल बहुत लोकप्रिय है. उदाहरण के लिए, प्री-प्रोडक्शन स्टेज के एक हिस्से डिजिटल पेंटिंग में कोर्स की भारी मांग है. इसके अलावा गेमिंग, वेब डिजाइनिंग इमेजरी और ई-लर्निंग में भी स्पेशलाइज्ड कोर्स होते हैं.’

वास्तव में एनिमेशन के कई क्षेत्रों में से किसी एक में स्पेशलाइज्ड स्किल हासिल करना अपनी एम्प्लॉयबिलिटी के मौके बढ़ाने के लिहाज से ज्यादा समझदारी भरा निर्णय हो सकता है. खोरे कहते हैं, ‘इन दिनों एनिमेशन स्टुडियो निश्चित रूप से ऐसे लोगों की भर्ती करना चाहते हैं जिनके पास फील्ड की जेनरिक नॉलेज की जगह कुछ खास स्किल में एक्सपर्टीज हो.’

आजकल एनिमेशन के स्टुडेंट्स के लिए विभिन्न तरह के विकल्प मौजूद हैं, जिसकी वजह से स्पेशलाइजेशन का कोई एरिया तलाशने में बहुत मुश्किल नहीं आएगी.

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