14 साल की उम्र से वह दिल्ली के इलेक्ट्रॉनिक कचरे को चुनकर वह अपना परिवार पाल रहे थे. यह काम उन्होंने अपने जीवन को चलाने के लिए चुना था, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि इसके चलते उनको यूनाइटेड नेशन क्लाइमेट सॉल्यूशन अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. हजरत निजामुद्दीन इलाके में रहने वाले मोहम्मद खोखन हामिद को क्लाइमेंट चेंज पर पेरिस में हो रही समिट COP21 अटेंड करने के लिए बुलाया गया है.
हामिद दिल्ली में अपनी पत्नी और अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं. वे सेंट्रल दिल्ली के करीब 90 घरों से इलेक्ट्रॉनिक कचरे को जमा करते हैं. तीन साल पहले वह चिंतन नाम के एक एनजीओ से जुड़े जो इलेक्ट्रॉनिक कचरे को जमा करके उसे रिसाइकल करता है. इस एनजीओ से जुड़कर हामिद लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. वह लोगों को बताते हैं कि ई-कचरे को जलाना पर्यावरण के काफी खतरनाक होता है.
चिंतन एनजीओ ने ई-कचरे से निपटने के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका नाम 'फ्रॉम टॉक्सिक टू ग्रीन' है. इस प्रोजेक्ट के तहत ई-कचरे को सुरक्षा के साथ दूसरे चीजों में बदला जाता है. यह एनजीओ सफाई सेना के साथ मिलकर काम करती है, जिसके करीब 12,000 सदस्य हैं. वहीं, यह एनजीओ हामिद जैसे दूसरे कई ऐसे लोगों को ट्रेनिंग भी देता है जो दिल्ली के घरों से कचरा चुनते हैं.
प्राय: हमारा समाज कचरा चुनने वालों को अच्छी निगाह से नहीं देखता है. यह अवॉर्ड हामिद को यह विश्वास दिलाएगा कि वह पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अहम योगदान दे रहे हैं और उनका काम किसी दूसरे काम की अपेक्षा खराब नही है.
हामिद इससे पहले कभी भी दिल्ली से बाहर नहीं गए हैं, इसलिए पेरिस जाने में वह थोड़े से डर रहे थे, क्योंकि उन्हें वहां की भाषा को समझने में समस्या होगी लेकिन उनकी पत्नी ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हुए कहा है कि जीवन में ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते और हामिद को जरूर जाना चाहिए. आज से तीन महीने पहले जब हामिद लोगों को यह बात बता रहे थे कि यूनाइटेड नेशन की तरफ से उन्हें अवॉर्ड मिलेगा तो कोई विश्वास नहीं करता था. लेकिन आज हामिद को लोग घर आकर बधाइयां दे रहे हैं.