शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए दिल्ली सरकार ने तीन प्रमुख बिल पास किए हैं. इनमें दिल्ली स्कूल (वेरिफिकेशन ऑफ अकाउंट्स एंड रिफंड ऑफ एक्सेस फीस) बिल-2015, दिल्ली स्कूल एजुकेशन (अमेंडमेंट) बिल और द राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन (दिल्ली अमेंडमेंट) बिल शामिल है.
इस बिल के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यह एक एेतिहासिक क्षण है. हम एजुकेशन को लेकर काफी गंभीर हैं और इस तरीके से घोटालों को हटाना चाहते हैं.
केजरीवाल ने प्राइवेट स्कूलों के बारे में बात करते हुए कहा कि पहले की स्थिति में कोई भी व्यक्ति प्राइवेट स्कूल बिना धोखाधड़ी के नहीं चला सकता था. अब कोई भी अगर ईमानदारी से स्कूल चलाना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है.
वहीं विपक्ष के विधायकों ने इस बिल का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया. विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इस बिल में कई खामियां हैं और बिल में स्कूलों को फीस बढ़ाने की खुली छूट दी जा रही है.
वहीं प्राइवेट स्कूलों के फीस के बारे में मुख्यमंत्री का कहना है कि सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी आने के बाद प्राइवेट स्कूलों की फीस कम हो जाएगी. उनका कहना है कि अकाउंट वेरिफिकेशन अपनी तरह का पहला एक्ट है, जो पास हुआ है. अगर यह सफल हो जाता है तो दूसरे राज्यों के लिए यह एक उदाहरण होगा.
द राइट ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन (दिल्ली अमेंडमेंट) बिल के तहत एंट्री लेवल क्लासेज में नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करना है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक, 'एजुकेशन का मतलब स्टूडेंट को काबिल बनाना होता है न कि पास या फेल करना. नो डिटेंशन पॉलिसी से स्टूडेंट्स का काफी नुकसान हो रहा है.'