नर्सरी एडमिशन में मैनेजमेंट कोटा खत्म करने के अपने आदेश का बचाव करते हुए दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में कहा है कि मैनेजमेंट कोटा एक रैकेट है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में मौजूद थे. दिल्ली सरकार ने पैरेंट्स की सील बंद शिकायतें कोर्ट को लिफाफे में सौंपी. कोर्ट में दिल्ली सरकार का कहना था कि ये शिकायतें पैरेंट्स की हैं और इसे सीलबंद लिफाफे में इसलिए सौंपा गया है क्योंकि पैरेंट्स अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते हैं.
वहीं, स्कूलों के वकील ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार सिर्फ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को ही आदेश दे सकती है. स्कूलों के इस दलील का विरोध करते हुए सरकार का कहना था कि स्कूल ऐसा कोई भी क्राइटेरिया नहीं चुन सकती है जो भेदभाव वाले होगा.
स्कूलों की याचिका पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मैनेजमेंट कोटे पर कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक तो उपराज्यपाल ही ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं पर दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का आदेश किस आधार पर दिया है?
इस पर दिल्ली सरकार का जवाब था कि उपराज्यपाल की पावर शिक्षा निदेशक को सौंपी गई है. इसके बाद कोर्ट का कहना था कि 2007 में जो आदेश एक्सपर्ट बॉडी (गांगुली कमेटी) की सिफारिशों को ध्यान में रख कर बनाया गया था, क्या दिल्ली सरकार ये कहना चाहती है कि वो आदेश गलत थे?
दरअसल, दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटा खत्म करने को लेकर आदेश जारी किया था. दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि ये आदेश स्कूलों की स्वायत्ता पर हमला है.