दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब शुरू करने के साल भर बाद अंतत: इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी ने करीकुलम बना लिया है. वे इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के घर पर कंप्यूटर नहीं होंगे.
स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) ने उन्हें ध्यान में रखकर करीकुलम का निर्माण किया है. सिलेबस वितरित किए जा चुके हैं. कई स्कूलो में लैब का काम जारी है तो वहीं कई में वे शुरू भी हो चुके हैं.
साझे करने होंगे कंप्यूटर...
सिलेबस डिजाइन करने वाले एक्सपर्ट ने हर लैब में 10 कंप्यूटर स्टूडेंट्स के लिए तो वहीं 1 कंप्यूटर ट्रेनर के लिए रखे हैं. उन्होंने स्कूल अथॉरिटी से एक सप्ताह में 40 मिनट के दो पीरियड्स निर्धारित करने के लिए कहा है. इस दौरान स्टूडेंट्स को कंप्यूटर साझे करने होंगे.
SCERT में एजुकेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की अध्यक्षा सपना यादव कहती हैं कि वे अधिक से अधिक प्रैक्टिकल पर जोर देंगीं. उनकी कोशिश होगी कि सभी निजी स्तर पर सीखें.
वह कंप्यूटर ट्रेनिंग को कोर्स मैटेरियल और दूसरे विषयों से जोड़ने के प्रयास में हैं. वे गूगल मैप और गूगल अर्थ जैसे फीचर्स को भी सोशल साइंस सिलेबस में जोड़ने की कवायद में लगी हैं. यह प्रोग्राम इसी अकादमिक वर्ष से शुरू हो जाएगा. हालांकि क्लास 6 से 10 के बीच सारे स्टूडेंट्स इसकी साल भर पढ़ाई करेंगे.