दिल्ली हाई कोर्ट ने दो दशक से बने हुए उस नियम को खत्म कर दिया है, जिसमें नौकरशाहों के बच्चे को संस्कृति स्कूल के दाखिले में आरक्षण मिलता था.
यहां नौकरशाहों के बच्चों के लिए 60 फीसदी आरक्षण था. कोर्ट ने कहा कि इनके बच्चों को दूसरे बच्चों की अपेक्षा तरजीह देना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस स्कूल को आदेशानुसार चलाया जाए या इसे केंद्रिय विद्यालय में बदल दिया जाए.
फैसले में कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि एक रुपये सालाना रेट पर केंद्र सरकार ने जमीन अलॉट कर रखी है. और केंद्र ने तमाम सरकारी एजेंसियों से स्कूल की स्थापना के लिए 15.945 करोड़ रुपये दान करने को भी कहा था. लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि वह किसी प्राइवेट संस्था या व्यक्ति विशेष को स्कूल बनाने के लिए फंड मुहैया नहीं करा सकती.