दिल्ली में निजी स्कूलों की ओर से फीस बढ़ाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि फीस बढ़ाने की इजाजत सभी प्राइवेट स्कूलों को नहीं मिलेगा. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जिन गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों ने फीस बढ़ाने के लिए अदालत का रुख नहीं किया या सरकार से मंजूरी के लिए आवेदन नहीं किया है, उन्हें मामले पर कोर्ट के आदेश का लाभ नहीं मिलेगा.
वहीं न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने 300 स्कूलों की नुमाइंदगी करने वाली ‘एक्शन कमेटी अनएडेड रेकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स’से उन स्कूलों की लिस्ट मांगी है, जिन्होंने फीस बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी मांगी थी या इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बेंच का कहना है, 'जो अदालत नहीं आए या मंजूरी नहीं मांगी, उन्हें क्यों लाभ मिलना चाहिए? हमें इस पर स्पष्टता की जरूरत है.'
बता दें कि दो न्यायाधीशों की पीठ ने यह टिप्पणी एकल न्यायाधीश के 15 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की है. इससे पहले ने टीचर्स और अन्य स्टाफ की तनख्वाह पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए शहर के गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को अंतरिम फीस वृद्धि की इजाजत दे दी थी.
बेंच ने तीन अप्रैल को गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की ओर से अंतरिम फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी थी और सोमवार को इसकी मियाद 30 अप्रैल तक बढ़ा दी जब मामले की अगली सुनवाई होनी है.