दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) से लोकसेवा के प्री-एग्जाम के आवेदन पत्र में ट्रांसजेंडर के लिए जेंडर ऑप्शन नहीं जोड़ने पर नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है.
कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते नोटिस जारी किया है . न्यायाधीश न्यायामूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पी.एस. तेजी की अध्यक्षता वाली दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन को नोटिस जारी करते हुए 17 जून तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. UPSC में आवेदन की अंतिम तिथि 19 जून 2015 है.
कोर्ट यह जानना चाहता है कि परीक्षा के लिए योग्यता मानदंडो में ट्रांसजेंडर समुदाय को शामिल क्यों नहीं किया गया है? जबकि सुप्रीम कोर्ट इस तरह के लोगों को तीसरा जेंडर घोषित कर चुका है.
अप्रैल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को तीसरे जेंडर का दर्जा दिया था. इससे पहले ट्रांसजेंडर को मजबूरन महिला या पुरुष में से किसी एक विकल्प को अपने जेंडर के तौर पर चुनना होता था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि किन्नरों को आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाए. कोर्ट ने कहा था कि ट्रांसजेंडर को शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन दिया जाएगा और उन्हें तीसरे जेंडर की श्रेणी के आधार पर रोजगार दिया जाएगा.
न्यायालय में अधिवक्ता जमशेद अंसारी ने याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि लोकसेवा परीक्षाओं के लिए आवेदन पत्र में ट्रांसजेंडर को पात्रता मानदंड या जेंडर विकल्प के रूप में शामिल किया जाए.
उन्होंने कहा, 'इससे ट्रांसजेंडर समुदाय को फायदा होगा, जिन्हें कि सामाजिक रूप से सार्वजनिक रोजगार से बाहर रखा गया है और वे सामाजिक पिछड़ेपन से पीड़ित हैं.' याचिका में कहा गया है कि तीसरे लिंग को विकल्प के तौर पर शामिल न किए जाने से 23 अगस्त को होने वाले एग्जाम में हिस्सा लेने के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.
इनपुट: भाषा