डीयू के कॉलेजों में लैंग्वेज टीचर्स खासकर के हिन्दी टीचर्स की परेशानी च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) के कारण बढ़ गई है. डीयू में समान रूप से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का फॉर्मूला इससे पहले चल रहा था.
नए नियम के मुताबिक स्टूडेंट्स को मॉडर्न लैंग्वेज में से किसी एक को चुनना होगा. आपको बता दें कि मॉडर्न लैंग्वेज में दो भाषा यानी हिंदी और अंग्रेजी शामिल हैं. हिंदी और अंग्रेजी भाषा यहां एबिलिटी इन्हेंसमेंट कोर्स (एईसी) का हिस्सा हैं.
डीयू के हिंदी शिक्षकों का मानना है कि इस नियम के कारण ज्यादातर स्टूडेंट्स अंग्रेजी ही पढ़ना चाहेंगे, जिससे उनके कार्य समय में काफी कमी होगी. पहले थ्री इयर सिस्टम के कारण स्टूडेंट्स को दोनो भाषा पढ़नी होती थी, लेकिन सीबीसीएस के तहत वे एईसी को पहले चार सेमेस्टर तक पढ़ेंगे. यूजीसी सट्रक्चर के मुताबिक एईसी में दो विषय हैं, एन्वायरमेंट साइंस और एमआईएल/अंग्रेजी.
कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स नए सेशन में पुनर्नियुक्ति की आशा देख रहे थे, लेकिन वर्कलोड की कमी के कारण अब उनकी नौकरी तक पर संकट बन आई है. एडहॉक पर बहाल हुए टीचर्स का कहना है कि वे लोग काफी परेशान हैं, किसी तरह के कार्यभार की गणना और समय सारणी अभी तक नहीं बनी है. लेकिन अगर इस बारे में सोचे तो यह साफ है कि कॉलेज में हिंदी पढ़ा रहे टीचर्स के कार्यभार में भारी कमी होगी.