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सिसोदिया ने रोका दिल्ली यूनिवर्सिटी का फंड, जानिये क्या थी वजह

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में दिए जाने वाले फंड को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज चलाने के लिए दिल्ली सरकार सीधे तौर पर फंड देती है.

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मनीष सिसोदिया
मनीष सिसोदिया

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में दिए जाने वाले फंड को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज चलाने के लिए दिल्ली सरकार सीधे तौर पर फंड देती है.

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उप मुख्यमंत्री ने दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा इन 28 कॉलेजों में पिछले 10 महीने से गवर्निंग काउंसिल के गठन में लगातार हो रही देरी से नाराज होकर यह फैसला लिया है. इस आदेश पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा के नाम पर दिल्ली सरकार के पैसों के इस्तेमाल में अनियमितता और भ्रष्टाचार नहीं होने दे सकता.

दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी में तमाम कॉलेजों के लिए गवर्निंग काउंसिल का गठन किया जाता है, लेकिन इन 28 कॉलेजों में सितंबर 2016 के बाद से अबतक इन कमेटियों का गठन नहीं किया गया है. दिल्ली सरकार ने इससे पहले भी विश्वविद्यालय पर केंद्र सरकार के दबाव में गवर्निंग काउंसिल के गठन में देरी का आरोप लगाया था.

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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस देरी को लेकर आरोप लगाते हुए कहा की जान बूझकर और गलत नियत से दिल्ली विश्वविद्यालय में गवर्निंग काउंसिल के गठन में देरी की जा रही है.

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सितंबर 2016 में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को खत लिखकर गवर्निंग काउंसिल के पैनल के सदस्यों के लिए नाम मंगवाए थे. देरी के बाद नवंबर 2016 में दोबारा रजिस्ट्रार को खत लिखकर नाम भेजे जाने को कहा गया.

विश्वविद्यालय द्वारा जवाब ना मिलने पर शिक्षा विभाग ने दिसंबर 2016 और 1 फरवरी 2017 को फिर से रजिस्ट्रार को चिट्ठी लिखी.

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14 फरवरी को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने गवर्निंग काउंसिल के लिए मनोनित सदस्यों वाली लिस्ट दिल्ली सरकार को भेजी. मार्च महीने में गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की मंजूर लिस्ट को दिल्ली सरकार ने डीयू के एग्जीक्यूटिव काउंसिल को भेजी, जिस पर विश्वविद्यालय ने सरकार से दोबारा विस्तृत जानकारी मांगी.

मई में दिल्ली सरकार ने गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की लिस्ट को मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय के एक्जिक्यूटिव काउंसिल को भेजा, जिस पर विश्वविद्यालय ने मंजूरी नहीं दी. इतना ही नहीं 6 जुलाई को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की पप्रस्तावित बैठक भी टाल दी गई.

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इसी तरह से 14 जुलाई को भी एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों वाली लिस्ट पर चर्चा तो हुई, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली है. बल्कि विश्वविद्यालय में एक कमेटी बनाकर इन नामों पर पुनर्विचार करने के लिए भेज दिया.

इस तरह की पूरी प्रक्रिया में लगभग 10 महीने की देरी से नाराज उप मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को आदेश दे दिए कि जिन 28 कॉलेजों को दिल्ली सरकार फंड देती है, उनकी फंडिंग को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए.

 

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