दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग में लगभग 4.5 लाख दाखिले पूरे हो गए है. इसके अलावा वे नई योजनाओं पर भी काम कर रहे हैं. वे फ्लिप क्लासरूम और शॉर्ट स्किल बेस्ड कोर्सेस की शुरुआत करने वाले हैं. इतना ही नहीं वे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को टैबलेट देकर डिजिटाइज भी करने के मूड में भी हैं.
ओपन लर्निंग कैंपस में चलने वाले छोटे और प्राइवेट ऑनलाइन कोर्सेस को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की तर्ज पर विकसित किया गया है. इन छोटी अवधि वाले कोर्सेस को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि यहां से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स इंडस्ट्री में आसानी से खप सकें.
कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के डायरेक्टर प्रोफेसर चंद्र शेखर दुबे कहते हैं कि यहां चलने वाले कोर्सेस में स्टूडेंट्स को किसी निश्चित समयावधि के बाद एक बैज (तमगा) दिया जाता है. इसे वे अपनी ऑनलाइन पोर्टफोलियो या सोशल मीडिया प्रोफाइल में जोड़ सकते हैं. इससे उन्हें हायर करने की चाह रखने वाली कंपनियां उनकी काबिलियत का अंदाजा लगा लेंगी.
वे आगे कहते हैं कि इस सिस्टम के अंतर्गत स्टूडेंट्स को क्लास से पहले ही इन्फॉर्मेशन मिल जाया करेगी. वे इसके बाबत रिकॉर्ड किए गए ऑनलाइन लेक्चर और ई-मैटेरियल की व्यवस्था की भी बात कहते हैं. साथ ही वे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मुख्यधारा और सबकी बराबरी में लाने के लिए टैबलेट देने की योजना पर भी तेजी से काम कर रहे हैं.