प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का दिल्ली के लोगों पर क्या असर पड़ रहा है ये जानने के लिए अब दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के स्टूडेंट्स इस अभियान के कई पहलुओं पर अध्ययन करेंगे. इसके बाद वे एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और अभियान के पांच साल पूरे होने के बाद इसे पर्यावरण एवं वन मंत्रालय 'एमओईएफ' को सौंप देंगे.
डीयू के एन्थ्रॉपोलॉजी विभाग के प्रोफेसर पीसी जोशी ने कहा, 'यह अपने तरह का अकेला अभियान है. इसके असर और सफलता की दर का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है. डीयू छात्र पांच साल तक यह अध्ययन करेंगे और नीति-निर्माताओं को सुधार की गुंजाइश वाले पहलुओं के बारे में सुझाव देंगें. परियोजना अगले साल फरवरी में शुरू होगी.'
उन्होंने कहा, 'हम पूर्व में चिह्नित किए गए समस्या वाले क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे और इनमें पांच साल की अवधि में होने वाले सकारात्मक या नकारात्मक बदलावों का निरीक्षण करेंगे.'
जोशी ने कहा, 'पांच साल पूरे होने और वर्ष 2019 में स्वच्छता अभियान के समापन के बाद हम नीति निर्माण दस्तावेज तैयार करेंगे और उसे एमओईएफ के पास विचार के लिए भेजेंगे.' यह अध्ययन, अभियान के दिल्ली में असर तक सीमित होगा और इसकी सफलता में विभिन्न भागीदारों के योगदान का भी जायजा लिया जाएगा.
एन्थ्रॉपोलॉजी विभाग पूर्व में 2004-2008 के बीच सार्वजनिक स्थलों पर लोगों का सामाजिक व्यवहार 'ह्यूमन सिविक बिहेवियर इन पब्लिक प्लेसेज' विषय पर चार साल का अध्ययन कर चुका है.
इसके अलावा विभाग ने दिल्ली मेट्रो ट्रेनों और स्टेशनों पर यात्रियों द्वारा स्वच्छता बनाए रखने को लेकर भी अध्ययन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर को देशव्यापी स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. अभियान वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खत्म होगा.