अपने एडमिशन फार्म के लिंग के खाने में ट्रांसजेंडर विकल्प की शुरुआत करने के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी अब उनके लिए एडमिशन के तौर तरीकों पर काम कर रही है.
यूनिवर्सिटी के क्लस्टर इन्नोवेशन सेंटर (सीआईसी) ने एक परियोजना ‘‘द थर्ड ‘आई’ (डिग्निटी ऑफ बीइंग’) पर काम शुरू किया है जो परिसर के शैक्षिक दायरे में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को शामिल करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है.
टीम यूनिवर्सिटी की एडमिशन समिति के समक्ष एक मसौदा नीति पेश करेगी. समिति इसे अपनी अंतिम मंजूरी देगी. नीति आगामी शैक्षिक सत्र में लागू की जाएगी जिसके लिए जून में एडमिशन होगा.
सीआईसी के निदेशक मदन मोहन चतुर्वेदी ने बताया कि उनके एडमिशन के लिए दिशा-निर्देश तय करने से पहले उनके लिए आरक्षण का प्रतिशत कितना होगा, क्या उन्हें ओबीसी कोटा में जगह मिलेगी या उपश्रेणी होगी, वित्तीय मदद, उत्पीड़न निरोधी नियम, हॉस्टल सुविधा, शौचालय, अलग से ट्रांसजेंडर सेल और स्वास्थ्य सुविधा जैसे विषयों पर अध्ययन होना है. यूनिवर्सिटीके मुताबिक विभिन्न पीजी कोर्सेज में एडमिशन के लिए पिछले साल आए 90,000 आवेदनों में से नौ छात्रों ने खुद को ट्रांसजेंडर बताया था.
-इनपुट भाषा से