scorecardresearch
 

मिलिए दिनेश कुमार जैन से, जिन्होंने बच्चों की पढ़ाई के खातिर लड़ी लड़ाई

डिपार्टमेंट ने परेशान होकर दिनेश कुमार जैन का तबादला कर दिया था, लेकिन जैन नई जगह जाने के बजाए हाईकोर्ट पहुंच गए और तबादला रद्द हो गया..

Advertisement
X
दिनेश कुमार जैन
दिनेश कुमार जैन

Advertisement

कहते हैं हौसला और सच्ची लगन हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. ऐसी ही एक सफलता की कहानी है उज्जैन के एक टीचर की. एक टीचर अपने छात्रों के लिए क्या कर सकता है और कितना मायने रखता है, इसका एक उदाहरण उज्जैन के रहने वाले और सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक दिनेश कुमार जैन ने दिया है.

पहले छोड़ा घर फिर मांगी भीख, अब बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज

उज्जैन के लसुड़िया चुवड़ गांव में चार साल तक एक किराए के कमरे में बच्चों को पढ़ाने वाले दिनेश कुमार जैन ने आखिरकार अपने छात्रों की पढ़ाई के लिए एक छत की लड़ाई जीत ही ली.

दरअसल, दिनेश कुमार जिस सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे, उसकी छत टूटी थी, जिसकी मरम्मत के लिए दिनेश कुमार ने 12 बार एजुकेशन डिपार्टमेंट को खत लिखा था.

Advertisement

ये शख्स लाखों दृष्टिहीनों को दिखाता है जीने की राह...

खत पर संज्ञान तो नहीं लिया गया, पर बिल्डिंग की खस्ता हालत को देखते हुए स्कूल सील कर दिया गया. स्कूल सील होने के बाद वहां पढ़ने वाले सभी छात्रों की पढ़ाई खतरे में आ गई. ऐसे में दिनेश 6 साल तक नई बिल्डिंग की मांग करते रहे.

13 साल में पास की 12वीं, 8 भाषाओं में बात करती है जाह्नवी

उनकी मांग से परेशान होकर डिपार्टमेंट ने उनका तबादला कर दिया. हालांकि दिनेश ने अपनी जगह तो नहीं बदली, पर वो इसके लिए हाईकोर्ट पहुंच गए. तबादला रद्द हो गया. अब दिनेश एक किराए के घर में बच्चों को पढ़ाते हैं. उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि अब डिपार्टमेंट ने नए आंगनबाड़ी केंद्र में यह स्कूल चलाने का फैसला लिया है.

Live TV

Advertisement
Advertisement