क्या आपको पता है कि बीते पांच साल में हिंदी राजभाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 288 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च कर दी है. सरकार ने इस रकम से क्या क्या खर्च किए हैं. इसका लिखित ब्यौरा गृह मंत्रालय ने एक राज्यसभा सांसद के सवाल पर दिया. जानें पूरा मामला.
वायको के हिंदी विरोध के बीच मंगलवार को गृह मंत्रालय ने लोकसभा मे लिखित में जवाब जारी किया. जवाब में कहा गया है कि हिंदी राजभाषा को बढ़ावा देने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कई बड़े कदम उठाए गए हैं. इसके लिए MHA ने 1 लाख 73 हजार 900 कर्मियों को अनुवाद के लिए कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया है. इसके अलावा अब तक 288 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम भाषा को बढ़ावा देने में खर्च हुई है.
बताया पांच साल का खर्च
सरकार ने हिंदी को लेकर अपनी गंभीरता बताई है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 5 सालों में 288.18 करोड़ रुपये खर्च किया गया है.
जानें पूरा मामला क्या है
बता दें कि 15 जुलाई को मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के महासचिव और राज्यसभा सांसद वायको ने दावा किया था कि हिंदी जड़हीन भाषा है, वहीं संस्कृत भाषा मृत हो चुकी है. वायकू ने हिंदी पर बातचीत करते हुए कहा कि हिंदी में क्या साहित्य है. हिंदी की कोई जड़ नहीं है और संस्कृत एक मृत भाषा है. हिंदी में चिल्लाने से कोई नहीं सुन सकता, भले ही (संसद में) कान में इयरफोन लगा हो. संसद में हो रही बहस का स्तर गिरा है. इसका मुख्य कारण हिंदी है.