प्रतिष्ठित दिल्ली यूनिवर्सिटी का नजारा इन दिनों किसी कूड़ा घर से कम नहीं है. 12 सितंबर को होने वाले चुनाव को लेकर चल रही तैयारियों ने कैंपस का हाल बेहाल कर रखा है. यूनिवर्सिटी में चारों तरफ पोस्टर्स और पैम्फ्लिट ही बिखरे पड़े हैं.
ये आलम तब है जब चुनाव के लिए लिंगदो कमेटी का गठन किया गया है जिसके नियम बहुत सख्त हैं. इस कमेटी का सबसे पहला नियम यह कहता है कि प्रचार के लिए सिर्फ हैंड मेड पेपर का इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन कैंपस में पढ़ रहे स्टूडेंट्स चुनाव से पहले ही नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं.
यही नहीं इस पर स्टूडेंट्स यूनियन बेहद गैर-जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया दे रहे हैं . यूनियन के मुताबिक अब तक चुनाव शुरू नही हुए इसलिए अभी नियम लागू नहीं हुए हैं.
छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रवक्ता अंबरीश ने कैंपस में फैले कागजों के ढेर को सही बताते हुए कहा कि हमने कोई नियम नहीं तोड़ा बल्कि हम ईको फ्रेंडली हैं.
वहीं, बीजेपी स्टूडेंट्स यूनियन एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री रोहित ने मीडिया से रुबरू होते हुए कहा कि नियम तोड़ने वाले छात्रों पर यूनिवर्सिटी को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
सवाल यहां नियमों को तोड़ने का नहीं है. सवाल यहां कैपस की सफाई को लेकर तमाम छात्र संगठन की जिम्मेदरी पर है. सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप लगाना और विरोध-प्रदर्शन करना ही डूसू का अधिकार नहीं, बल्कि उसकी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं.