दिल्ली यूनिवर्सिटी में बी-टेक पढ़ने वाले हजारों छात्रों का भविष्य ख़तरे में है. दरअसल AICTE ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के उन सभी कॉलेजों को मान्यता पाने के लिए मापदण्डों को पूरा करने का एफिडेविट छह घंटे में पेश करने को कहा है.
आपको बता दें एफिडेविड में जिन मापदंडों का जिक्र किया गया है, उन मापदंडों को डीयू के कई कॉलेज पूरा नहीं करते हैं. मतलब साफ है कि बी-टेक डिग्री का सपना देखने वाले स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटका हुआ है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कई छात्र ऐसे हैं जिन्होंने डीयू को अपनी पसंद मानते हुए बीटेक में एडमिशन लिया, लेकिन हाल ही में कॉलेजों को मिले AICTE के निर्देश के बाद इन स्टूडेंट्स के मन में बी-टेक की डिग्री को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल साल 2013-14 में फोर ईयर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) के दौरान डीयू में बीएससी प्रोग्राम को बी-टेक का दर्जा दिया गया था, जिसे AICTE से अप्रूवल लेना था, लेकिन साल भर बाद ही एफवाईयू प्रोग्राम रोलबैक कर दिया गया. हालांकि बी-टेक की डिग्री को मान्यता देने का फैसला किया गया, लेकिन AICTE की मान्यता के बगैर कोई भी टेक्निकल कोर्स मान्य नहीं होता. लिहाजा डीयू के कॉलेजों ने AICTE की मान्यता के लिए अप्लाई किया.
एफिडेविड के मुताबिक बी-टेक कोर्सेस में नामांकन के लिए AICTE नियमों का पालन किया गया हो मतलब एंट्रेस टेस्ट के जरिए एडमिशन लिया गया हो, लेकिन डीयू के 2013-14 के चार साल के पाठ्यक्रम में कट-ऑफ के आधार पर एडमिशन मिला. इसके अलावा बीटेक कोर्सेस को पढ़ाने वाले टीचर्स की शैक्षणिक योग्यता भी AICTE के मापदण्डों पर खरी उतरती हो, मतलब टीचरों का बीटेक एमटेक होना अनिवार्य है. लेकिन डीयू के कई कॉलेजों में बीटेक पढ़ाने वाले प्रोफेसर पीएचडी, पोस्टग्रेजुएट या स्कॉलर है.
डीयू के कई कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर और लैब्स की सुविधाओं के लिहाज से भी AICTE के मानकों पर खरे नहीं उतरते.
एफवाईयूपी के तहत कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड टेक्नोलॉजी, इंस्ट्रूमेंटेशन इलेक्ट्रॉनिक्स और पालिमर साइंस में बीटेक कोर्स पेश किया गया था जिसे यूजीसी के हस्तक्षेप के बाद पिछले साल रद्द कर दिया गया था.
यूजीसी ने हालांकि डीयू को केवल 2013-14 शैक्षणिक सत्र में एढमिशन लेने वाले 6000 स्टूडेंट्स की खातिर इन पांच बीटेक पाठ्यक्रम को जारी रखने का निर्देश दिया था.
कॉलेजों से एआईसीटीई से मंजूरी लेने को कहा गसा था जो देश में तकनीकी शिक्षा का नियमन करने के संबंध में शीर्ष सलाहकार निकाय है.
डूटा की मानें तो बीटेक की डिग्री को लेकर जो पेंच अटका हुआ है उसकी सबसे बड़ी वजह एफवाईयूपी को लागू करना था, जिसके लिए डीयू के वाइस चांसलर जिम्मेदार है. जहां डूटा इस पूरे कंफ्यूजन के लिए वीसी को जिम्मेदार ठहरा रहा है वहीं छात्रसंघों की मानें तो दिल्ली यूनिवर्सिटी को एचआरडी और एआईसीटीई के साथ मिलकर कोई ऐसा कदम उठाना चाहिए ताकि हजारों छात्रों को बिना परेशानी के बीटेक की डिग्री मिल सकें.
कॉलेज के प्रिसिंपल की मानें तो इस एफिडेविट में डीयू के कॉलेजों को थोड़ी छूट देकर इस मसले को सुलझाया जा सकता है.