वर्षों इंतजार करने के बाद हिंदू कॉलेज ने लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाया है और इसके लिए आवेदन भी जारी किए हैं. लड़कियों में हॉस्टल खुलने की खुशी इसके नियम-कानून जानते ही गायब हो गई. यहां के नियम ऐसे बनाए गए हैं कि यह हॉस्टल कम जेल ज्यादा है. वहीं नॉर्थ कैंपस के इस हॉस्टल की फीस जानकर ज्यादातर लड़कियां परेशान हैं.
जहां लड़कों की फीस 47,000 रुपये सालाना है, वहीं लड़कियों के लिए हॉस्टल की फीस 82,000 रुपये रखी गई है. ऐसा लगता है कि लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर इतना चार्ज तय हुआ है.
पिंजड़ा तोड़ (स्टूडेंट मूवमेंट) की याचिका के अनुसार डीयू के लगभग सभी गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों मॉरल पॉलिसिंग से परेशान हैं और वे इसका विरोध भी कर रही हैं. लड़कियों के हॉस्टल में उनके पहनने-ओढ़ने से लेकर बाहर जाने की आवाजाही तक के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं. हर बात में यहां वार्डन की मंजूरी जरूरी है.
डीयू में पढ़ रही एमए की एक स्टूडेंट का कहना है कि डीयू के दूसरे कॉलेजों में भी लड़कियों के लिए कुछ अजीबो-गरीब नियम-कानून हैं. लेकिन इस मामले में हिंदू कॉलेज उनसे कई कदम आगे निकल गया है. जहां डीयू के दूसरे कॉलेजों में छह नाइट आउट मान्य हैं. वहीं इस कॉलेज ने सिर्फ एक नाइट ऑउट रखा है. इस छात्रा का सवाल है कि क्यों कोई पैसे देकर पिंजरे में कैद रहे?
किसी भी तरह की छुट्टी के लिए 24 घंटे पहले आवेदन करना पड़ेगा. वार्डन और लोकल गार्जियन के इजाजत पर ही छुट्टी मान्य होगी. वहीं, कॉलेज के बाहर किसी भी कल्चरल/स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने के लिए वार्डन से पूछना जरूरी है.
लड़कियों को कपड़े पहनने पर भी ज्ञान दिया गया है. इसमें कहा गया है कि समाज के मानक के अनुसार कपड़े पहनकर ही डाइनिंग हॉल, विजिटर्स रूम और कॉमन स्पेस में जाएं.
अगर यहां की कोई लड़की फुलटाइम, पार्ट टाइम जॉब या कोचिंग ही लेना चाहे तो उसे वार्डन के इजाजत की जरूरत पड़ेगी. ऐसा लगता है कि यहां के वार्डन को सारी तानाशाही शक्तियां दे दी गई है. यहां रह रही लड़कियों से वहीं लड़का/लड़की मिलने आ सकता/सकती है जिसकी परमिशन उसके पेरेंट्स ने एडमिशन के समय दी हो.