दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में तो वैसे हमेशा से भीड़ देखने को मिलता है लेकिन इस बीच ऑफ-कैंपस कॉलेजों के कट-ऑफ में भी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. इन कॉलेजों में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
पिछले कुछ सालों में इन कॉलेजों के कट-ऑफ कुछ इस प्रकार थेः
2014 में शिवाजी कॉलेज में फिजिक्स का कट-ऑफ 90 फीसदी था जो कि 2015 में 95 फीसदी तक बढ़ गया था. वहीं 2014 में कालिन्दी कॉलेज में कॉमर्स का कट-ऑफ 94 फीसदी था जो 2015 में 95 फीसदी तक पहुंच गया.
प्रिसिंपलों की रायः
1. कुछ प्रिसिंपलों का मानना है कि उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि के कारण ऑफ-कैंपस कॉलेजों की डिमांड बढ़ गई है.
2. यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी के मुताबिक, 'यूनिवर्सिटी में अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए 54,000 सीटें हैं, लेकिन पिछले तीन सालों से आवेदकों की संख्या 2 लाख से ऊपर पहुंच गई है. ऑन-कैंपस कॉलेजों में सबका एडमिशन नहीं हो सकता इसलिए ऑफ-कैंपस कॉलेजों के कट-ऑफ बढ़ गए हैं.'
3. कुछ प्रिसिंपलों का कहना है कि ऑफ-कैंपस कॉलेज अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं और ऑन-कैंपस कॉलेजों की तुलना में वहां सुविधाएं भी अच्छी मिलती हैं.
4. कालिन्दी कॉलेज की प्रिसिंपल अनुला मौर्या कहती हैं- 'ऑफ-कैंपस कॉलेज किसी भी तरह ऑन-कैंपस कॉलेजों से कम नहीं है. इनकी इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी दोनों ही अच्छी है.'
अभी तक यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों के लिए करीब 2.5 लाख आवेदन आ चुके हैं.