दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा के शिक्षकों ने 2.5 फीसदी प्वाइंट के साथ विषय बदलने पर सवालिया निशान खड़े किए हैं. वे चाहते हैं कि इसे कम से कम अंग्रेजी के लिए जरूर सुधार लिया जाना चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा साल 2015 में अंग्रेजी (ऑनर्स) कोर्स के लिए अपनाए गए नियम में फेरबदल किए गए हैं. जिसकी वजह से स्कूल में मानविकी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को दरकिनार किए जाने की आशंका है.
पिछले वर्ष डीयू ने अंग्रेजी (ऑनर्स) के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेटों के लिए चार-बेस्ट विषयों में 2.5 फीसद यूनिफॉर्म प्वाइंट का मानक तय किया था. इसकी वजह से सभी धाराओं के स्टूडेंट्स इन कोर्सेस में अप्लाई कर सकते थे. इसमें उम्मीदवार बिना किसी पेनाल्टी व बराबर कट ऑफ पर अप्लाई कर सकते थे. किरोड़ी मल कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक रुद्राशीष चक्रबोर्ती कहते हैं कि अब मानविकी धारा वाले कैंडिडेट को अंग्रेजी (ऑनर्स) विषय में अप्लाई करने के लिए या तो कॉमर्स-साइंस वाले कैंडिडेट्स के बराबर अंक लाने होंगे या फिर उससे ज्याादा.
इस पूरे मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी शिक्षिका सनम खन्ना कहती हैं कि इस पॉलिसी की वजह से क्लासेस का माहौल, बातचीत करने का अंदाज और असाइनमेंट्स सबमिट करने की स्टाइल भी बदली है, हालांकि वह इसके लिए सेमेस्टर सिस्टम को भी जिम्मेवार ठहराती हैं.
इसके अलावा वह कहती हैं कि साइंस और कॉमर्स से अंग्रेजी की ओर आने वाले स्टूडेंट्स को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि वे क्या फेस करने जा रहे हैं. उन्हें लंबे-लंबे उत्तर लिखने की आदत नहीं होती, वे तथ्यों पर आधारित पढ़ाई के आदी होते हैं और वे कदम-दर-कदम निर्देश की अपेक्षा रखते हैं. साथ ही वे कहती हैं कि यह पॉलिसी इलेक्टिव अंग्रेजी पढ़ने वाले छात्रों को बढ़त देती है लेकिन उनकी संख्या बेहद कम है और इसी वजह से उन्हें दरकिनार किया जाता है.