दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने आने वाले सत्र से ‘चयन आधारित क्रेडिट हस्तांतरण प्रणाली’ (सीबीसीएस) को लागू किए जाने का विरोध किया है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने कहा कि यह प्रणाली समाप्त हो चुकी चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) का नया स्वरूप है और यूनिवर्सिटी के लिए अनर्थकारी है. डूटा ने किए जा रहे सुधारों को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग से बातचीत करने की पेशकश की है.
डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि टीचर्स को लगता है कि सीबीसीएस प्रणाली सेमेस्टर प्रणाली पर आधारित है और एफवाईयूपी का नया स्वरूप है, इसलिए इसे लागू करने पर यूनिवर्सिटी के लिए अनर्थकारी नतीजे होंगे. आपको बात दें कि यूजीसी ने पिछले साल सभी केंद्रीय यूनिवर्सिटीज से जुलाई 2015 में अगले सत्र की शुरूआत से सीबीसीएस लागू करने को कहा था.
डूटा ने स्टाफ संगठनों और करीब 30 कॉलेजों से इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी थी.