ऐसे समय में जब देश के मध्यम वर्गीय और उच्च मध्यम वर्गीय परिवार के घरों के बच्चे केन्द्रीय विद्यालयों में दाखिला ले रहे हैं. ठीक उसी समय सरकार ने फैसला लिया है कि वे गरीब परिवार के बच्चों को भी केन्द्रीय विद्यालयों में दाखिला दिलाएंगे. केन्द्रीय विद्यालय देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और केन्द्र सरकार द्वारा पोषित हैं.
ऐसा माना और देखा जा रहा है कि प्राइवेट स्कूलों में हो रही धक्कमपेल को देखते हुए आर्थिक रूप से संपन्न माता-पिता क्वालिटी एजुकेशन के लिए केन्द्रीय विद्यालय का रुख कर रहे हैं. उन्हें यहां तमाम सुविधाएं कम खर्च में ही मिल जा रही हैं.
इन दिनों केन्द्रीय विद्यालयों की चाह एकदम से बढ़ गई है. जो अभिभावक प्राइवेट स्कूलों का खर्च उठा सकते हैं वे भी केन्द्रीय विद्यालय को चुन रहे हैं. इसके अलावा प्राइवेट स्कूल का खर्च न उठा सकने वाले तो हैं ही. सरकार इसके लिए आगामी सत्र से नई स्कीम लाएगी.
इस मामले पर क्या करेगा मंत्रालय?
हर सांसद का भी होता है कोटा...
गौरतलब है कि एक सांसद केन्द्रीय विद्यालय में 10 बच्चों की सिफारिश कर सकता है.
मंत्रालय ने एक प्रपोजल आगे बढ़ाया है. इस प्रपोजल के अनुसार सांसदों को 4 सीटें निम्न आय वर्ग वाले परिवारों को देनी होगी.