हमारी शिक्षा प्रणाली उपलब्धता, समानता और गुणवत्ता की समस्या से जूझ रही है यह बात उपराष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी के 11वें दीक्षांत समारोह में कही.
हामिद अंसारी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों तक स्टूडेंट्स की पहुंच न होना, शिक्षा में समान हिस्सेदारी न मिलना और क्वालिटी में कमी भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रमुख समस्याएं हैं. अंसारी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश के विकास के बावजूद भारत में एडमिशन का औसत बहुत कम है और स्कूल छोड़ जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अब भी ज्यादा है.
शिक्षा क्षेत्र में हाइली ट्रेंड टीचर्स की कमी, कमजोर बुनियादी ढांचा और पुराने पड़ चुके सिलेबस जैसी समस्याएं आज भी बरकरार हैं. जीडीपी का जो हिस्सा शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों के रूप में जाता है, वह जरूरत से कम है जामिया हमदर्द के 11वें दीक्षांत समारोह में यहां अपने व्याख्यान में अंसारी ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, उच्च शिक्षण संस्थानों से पास हो रहे ग्रेजुएट को रोजागर के अवसर उपलब्ध होना उन्होंने कहा कि दुनिया में चीन के बाद भारत में सबसे बड़ी कार्यशील जनसंख्या है.
यह अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक हमारी जनसंख्या का 63 फीसद हिस्सा काम करने वाले वर्ग में होगा .यह संख्या विकास की अपार संभावनाओं की ओर इशारा करती है बशर्ते दो स्थितियों पर ध्यान दिया जाए पहला शिक्षा और स्किलस के बेहतर स्तर को पाया जाए. दूसरा ऐसा माहौल तैयार किया जाए, जहां न केवल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े, बल्कि अच्छी नौकरी के अवसर भी पैदा हों.
इससे समाज के कमजोर वर्गों और युवाओं की उम्मीदों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी चूंकि हायर एजूकेशन केंद्र और राज्य दोनों के अधीन है इसलिए क्वॉलिटी में सुधार के लिए लगातार कोशिश किए जाने की जरूरत है.