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दिल्ली: 12वीं में 95% लाकर भी छात्र हैं परेशान, जानिए क्‍यों

दिल्ली में 12वीं के 85 से 95 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र भी अपने भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं. सरकारी कॉलेज ना मिलने का डर उन्हें सता रहा है.

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Represenataional image
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12वीं के नतीजे आते ही छात्रों में दिल्ली के अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए होड़ मच जाती है. सभी अच्छी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन चाहते हैं, जिससे उनका भविष्य संवर जाए. पर यहां सबसे बड़ी लड़ाई कट ऑफ की शुरू होती है, जिसके चलते 85 से 95 प्रतिशत अंको के बावजूद छात्रों को चिंता सता रही है कि उन्‍हें अच्‍छा कॉलेज मिलेगा या नहीं.

क्या है रोहिणी की नेहा की कहानी?
बढ़ते कॉम्पिटीशन ने दिल्ली के छात्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. दरअसल दिल्ली के सभी बड़े कॉलेज में देश भर के छात्र आवेदन की आशा रखते हैं. ऐसे में सभी कॉलेज कट ऑफ या मेरिट के आधार पर दाखिला लेते हैं. जिसके चलते दिल्ली के वो छात्र बेहद परेशान है जिन्होंने ने 80 से 90 प्रतिशत अंक पाए हैं.

दिल्ली के रोहिणी की रहने वाली नेहा ने कॉमर्स से 91 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. 95 प्रतिशत से ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठी नेहा अब दुखी है क्यूंकि उसे मालूम है कि अब किसी बड़े कॉलेज में दाखिला मिलना काफी मुश्किल है. नेहा एक बेहद साधारण परिवार से है और उसके पिता सेल्समेन है और मां हाउसवाइफ. नेहा के मां-बाप को उससे काफी उम्मीदें हैं. उसके पिता खुद पढ़ नही सके लेकिन बेटी को एक अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाना चाहते हैं, जिससे वो सीए के एंट्रेंस की तैयारी कर पाए.

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धोबी का होनहार बेटा
नेहा की तरह धर्मवीर भी बहुत परेशान है. धर्मवीर के पिता इस्त्री का काम कर घर का खर्चा चलाते हैं. वो राजस्थान से अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना ले कर 2004 में दिल्ली आये थे और आज उनको अपने बेटे पर फक्र है. 88 प्रतिशत अंक लाने वाले धर्मवीर के सामने अब अच्छे कॉलेज में दाखिले की समस्या है. उसके परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि, उसका किसी बड़े प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन कराएं. धर्मवीर दिल्ली पोलिस और आर्मी जॉइन करना चाहता है, पर ग्रेजुएट होने के लिए उसे अच्छा कॉलेज चाहिए जिसके लिये वो सरकारी स्कॉलरशिप की उम्मीद कर रहा है.

95 प्रतिशत के बावजूद दुखी
95 प्रतिशत अंक पाने वाले हिमांक का परिवार खुश तो है पर साथ ही डरा हुआ भी है. समस्या ये है कि हिमांक आर्किटेक्चर और जेइइ करना चाहता है, और 12वी में इतनी मेहनत के बाद अब उसे दोबारा इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ रही है. हिमांक की बहन को अपने भाई पर पूरा भरोसा है पर हिमांक इतने अच्छे अंको के बाद भी अपने भविष्य को ले कर चिंतित है.

अब इसे हम एजुकेशन सिस्टम की खामी कहे या लगातार बढ़ता कॉम्पिटीशन, इतने अच्छे अंक पाने वाले छात्र भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.

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