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राजस्थान के कोचिंग हब यानी कोटा में बढ़ते छात्र आत्महत्या के मामले को देखते हुए ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है जिसमें छात्रों को कोचिंग न करनी पड़े. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस विषय पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. आने वाले समय में केंद्र यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा कि छात्रों को कोचिंग की जरूरत न पड़े. साथ ही उन्होंने 'डमी स्कूलों' पर भी चर्चा की जा रही है.
बेहतर करियर के सपने संजोए कोटा जाने वाले छात्र जिंदगी से हार मान रहे हैं और आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा रहे हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल कोटा में छात्र आत्महत्या के मामले कई ज्यादा बढ़े हैं. सितंबर 2023 तक कोटा में कोचिंग कर रहे 27 छात्रों ने इस साल सुसाइड किया है. पिछले साल यह आंकड़ा 15 था. हालांकि प्रशासन, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और राज्य सरकार आत्महत्या मामलों को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है. कोचिंग सेंटर्स, हॉस्टल वार्डन, मैस वाले, डब्बे वाले आदि लोगों की मदद से छात्रों की सलामती के लिए उन पर नजर बनाए रखने की सलाह दी गई है. कोचिंग सेंटर्स को टेस्ट पेपर्स में कमी करने के लिए कहा गया है.
छात्रों को कोचिंग की आवश्यकता न पड़े: शिक्षा मंत्री
इसके बावजूद कोटा में छात्र आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. इस मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है कि छात्रों को कोचिंग की आवश्यकता न पड़े. अब समय आ गया है कि 'डमी स्कूलों' के मुद्दे पर भी गंभीर चर्चा की जाए. इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हालांकि ऐसे छात्रों की संख्या कुल छात्रों की संख्या की तुलना में बहुत अधिक नहीं है. अब समय आ गया है कि इस विषय पर गंभीर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाए.
उन्होंने कहा कि कई नीट और जेईई उम्मीदवार अपने गृह राज्यों के स्कूलों में दाखिला लेते हैं और कोचिंग क्लासेस के लिए कोटा जाते हैं. वे रेगुलर स्कूलों में नहीं जाते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं. 'डमी स्कूलों' के मुद्दे को कई विशेषज्ञों ने उठाया है, जिनका मानना है कि स्कूल नहीं जाने से छात्रों के व्यक्तिगत विकास में बाधा आती है और वे अक्सर अलग-थलग और तनावग्रस्त महसूस करते हैं.
CBE का किया जा रहा है पुनर्गठन
यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की पिछले तीन वर्षों में बैठक क्यों नहीं हुई, प्रधान ने कहा, "सीएबीई का पुनर्गठन किया जा रहा है. सीएबीई का पुराना संस्करण बहुत व्यापक था. आज की शिक्षा प्रणाली की मांगें अलग हैं. ऐसे समय में जब हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ एक आदर्श बदलाव कर रहे हैं, सीएबीई को भी फिर से तैयार करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा, "सीएबीई इस बात की समीक्षा करेगा कि अब क्या पेश किया जा रहा है, चाहे वह नया पाठ्यक्रम हो, नया क्रेडिट फ्रेमवर्क हो, मान्यता हो या कोई अन्य सुधार हो." मंत्री ने आगे कहा कि दो आईआईटी - दिल्ली और मद्रास - अपने अपतटीय परिसरों की स्थापना के प्रगतिशील चरण में हैं और कई अन्य देशों के साथ बातचीत चल रही है जिन्होंने रुचि व्यक्त की है.
भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस
प्रधान ने कहा, "विदेश मंत्रालय इसका समन्वय कर रहा है और विभिन्न प्रकार के विकल्पों और संयोजनों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद इसे देख रहे हैं. मैं भी उनके साथ हूं." उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के दिशानिर्देशों पर भी विचार चल रहा है और जल्द ही इसे अधिसूचित किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "हम एक आदर्श बदलाव करने जा रहे हैं. इसलिए, हम सभी संभावनाओं को तलाशने और सभी संदेहों को दूर करने के बाद आगे बढ़ेंगे. दिशानिर्देशों पर विचार चल रहा है और मुझे विश्वास है कि यूजीसी जल्द ही उन्हें अधिसूचित करेगा."
कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में NEP का विरोध
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू नहीं करने के कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के फैसले के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा कि उनकी आपत्तियां एकेडमिक नहीं बल्कि राजनीतिक हैं. मैं अभी भी यह नहीं समझ पाया हूं कि उनकी वास्तविक आपत्ति किस बारे में है. पश्चिम बंगाल ने एक वैकल्पिक दस्तावेज निकाला है. हमने उसे देखा है और यह 99 प्रतिशत एनईपी के जैसा है."
देश में होंगे 5000 स्किल सेंटर
उन्होंने कहा कि शिक्षा और कौशल विकास मंत्रालय शिक्षार्थियों की एक ऐसी पीढ़ी को तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं जो 21वीं सदी के कार्यस्थल में आगे बढ़ने के लिए सही कौशल से लैस हैं. इसे हासिल करने के लिए, हम छात्रों को शैक्षणिक और व्यावहारिक कौशल प्रदान करने के लिए शिक्षा और कौशल के बीच तालमेल बना रहे हैं. आज, लगभग 1,000 स्किल सेंटर हैं जिनमें एक लाख उम्मीदवार नामांकित हैं. आगे बढ़ते हुए, हम 5,000 ऐसे सेंटर स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान कौशल विकास मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा, "एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में गतिशीलता प्रदान करता है और क्रेडिट-आधारित प्रणाली में कौशल और अनुभवों के निर्बाध एकीकरण में मदद करता है."