इंजीनियरिंग के छात्रों को अब कोर्स के दौरान 3 इंटर्नशिप करना होगा. यह कदम इंजीनियरिंग के छात्रों की योग्यता को बढ़ाने और नौकरी की गुंजाइश को बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है. नई व्यवस्था इसी सत्र से लागू की जाएगी. इंटनशिप कराने की जिम्मेदारी कॉलेजों की होगी.
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बता दें कि साल 2015-16 में इंजीनियरिंग कॉलेजों से पास होने वाले 56 प्रतिशत छात्र आज भी बेरोजगार हैं.
यही नहीं, शिक्षकों को भी सालाना रिफ्रेसर कोर्स से गुजरना होगा. इसमें असफल होने पर उनके संस्थान को मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा. समर इंटरशिप जैसी व्यवस्था सिर्फ मशहूर इंजीनियरिंग कॉलेजों में ही है.
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HRD मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोक सभा को बताया कि टेक्नीकल इंस्टीट्यूट के हर छात्र को अंडर-ग्रेजुएट कोर्स पूरा होने से पहले तीन इंटर्नशिप से गुजरना होगा, जो कि चार से 8 सप्ताह का होगा. जावड़ेकर ने कहा कि छात्रों को इंटर्नशिप कराने की जिम्मेदारी संस्थानों की होगी. छात्रों को सूटेबल इंडस्ट्री में इंटनशिप के लिए संस्थान उनकी मदद करेंगे.
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उन्होंने कहा कि AICTE के आंकड़ों के अनुसार साल 2015-16 में 10,328 टेक्नीकल इंस्टीट्यूट से पास होने वाले 15.87 लाख छात्रों में सिर्फ 6.96 लाख को ही कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरी मिली. इसके साथ ही जावड़ेकर ने कहा कि हालांकि यह कहना भी गलत होगा कि तकनीकी संस्थानों से पढ़कर निकलने वाले 50 फीसदी छात्रों को भी नौकरी नहीं मिली, क्योंकि ऐसे छात्र भी होते हैं, जिन्होंने नौकरी का मौका छोड़ र्स्टाटअप शुरू किया या हायर स्टडीज का विकल्प अपनाया.
इसी बीच इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के शिक्षकों को भी सरकार की पोर्टल 'स्वयं' पर मौजूद ऑनलाइन कोर्स करना होगा. हर टेक्नीकल डिसिप्लिन के शिक्षक के लिए स्वयं पोर्टल से सलाना एक रिफ्रेशर कोर्स करना अनिवार्य होगा