हमारी देश की शिक्षा पद्धति में इस बात को लेकर बहस हमेशा जारी रहती है कि शिक्षा को रोजगार से कैसे जोड़ा जाए. नए सिरे से शिक्षा नीति को कैसे आकर्षक बनाया जाए. लोगों को प्रेरित करते हुए उनके लिए रोजी-रोटी के नए आयाम खोले जा सकें. इन्हीं सभी मुद्दों पर चर्चा करने और निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक हुई. अंग्रेजी बनाम संस्कृत के साथ-साथ संस्कृत को नई पीढ़ी के बीच फिर से स्थापित करने के मुद्दे पर विमर्श हुआ.
नई शिक्षा नीति की बहस अंग्रेजी बनाम संस्कृत तक पहुंची...
नई शिक्षा नीति बनाने के लिए 25 साल बाद हुई पहल एक बार फिर अंग्रेजी और संस्कृत की पढ़ाई पर टिक गई है. केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशों पर आये लाखो सुझावों पर बात होनी थी. अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय एक और कमेटी बनाने जा रहा है. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इन सुझावों और सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशों के आधार पर नई रोजगारपरक शिक्षा नीति का खाका तैयार होगा.
बाद की मीटिंग में अंग्रेजी और संस्कृत छाए रहे...
इस पूरी मीटिंग में अंग्रेजी की पढ़ाई बचपन से हो या छठी से यह मुद्दा ही हावी रहा. इसके अलावा वे संस्कृत की पढ़ाई को नई पीढ़ी के अनुकूल बनाने और उसे रोजगार से जोड़ने की भी बातें करते रहे. वे प्रोफेशनल एजुकेशन में संस्कृत की भूमिका के प्रति भी संजीदा दिखे. वैसे पिछले सत्र में राज्यसभा ने नई शिक्षा नीति को रोजगार से जोड़ने के मुद्दे पर भी चर्चा की थी. अब एक बार फिर सरकार 10 नवम्बर को सांसदों के साथ भी नई शिक्षा नीति के मसौदे पर चर्चा करेगी. वे संस्कृत, हिंदी, उर्दू या फारसी इनोवेटिव बनाने के साथ-साथ प्रोफेशनल बनाने पर जोर देंगे.