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अगर आपके बच्चे को भी है मोबाइल की आदत, तो जान लीजिए UN की चेतावनी

कोरोना वायरस के दौरान दुनियाभर में एजुकेशन सिस्टम रातोंरात ऑनलाइन हो गया. बच्चों की क्लासेज ऑनलाइन होने लगी. इससे बच्चों के बीच टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ गया. अब यूएन की एक रिपोर्ट का कहना है कि अगर बच्चे टेक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो उनका एकेडमिक परफोर्मेंस प्रभावित होता है.

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टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल पर यूएन की चेतावनी
टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल पर यूएन की चेतावनी

टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बावजूद इसके प्रत्येक चार में सिर्फ एक देश ऐसा है, जहां स्कूलों में स्मार्ट फोन बैन हैं. विशेष रूप से, ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अगर आप मोबाइल फोन बच्चों के आसपास रखते हैं तो इससे उनका ध्यान भटकता है, और इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है.

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यूनाइटे नेशन का कहना है कि इस बात की जानकारी होने के बावजूद, 25% से भी कम देशों ने शैक्षिक सेटिंग्स में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है. यूनेस्को द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले डिवाइस बच्चों के एकेडमिक परफोर्मेंस को प्रभावित करते हैं.

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फिर से ध्यान केंद्रित करने में लगता है समय

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल फोन हो या कंप्यूटर, उससे बच्चों का ध्यान भटक सकता है और ऐसे में स्कूल या घर उनके सीखने का माहौल प्रभावित होता है. रिसर्च से पता चलता है कि कोई भी स्टूडेंट का ध्यान अगर एक बार टेकनोलॉजी की वजह से भटक जाता है तो उसे फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट का समय लग सकता है.

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सिर्फ एजुकेशन के लिए हो टेक का इस्तेमाल

रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षकों को क्लासरूम में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से संबंधित बड़ी चुनौतियों का सामा करना पड़ता है. मसलन, जब स्टूडेंट्स गैर-एजुकेशन वेबसाइट जैसे सोशल मीडिया वगैरह का इस्तेमाल करते हैं तो क्लासरूम में शोर होता है. 

यूएन एजुकेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि क्लासरूम में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ एजुकेशन के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमीर देशों में क्लासरूम और एजुकेशन व्यवस्था बदल गई है. स्क्रीन ने पेपर की जगह ले ली और पेन ने कीबोर्ड की.

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कोरोनावायरस की वजह से दुनियाभर में एजुकेशन व्यवस्था रातोंरात बदल गई और पूरा सिस्टम ऑनलाइन हो गया, लेकिन डेटा से पता चलता है कि इससे स्टूडेंट्स की लर्निंग प्रभावित होती है और ज्यादा टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से उनका एकेडमिक परफोर्मेंस खराब होता है.

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