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वर्जिश करते हुए बनाएं बेहतर करियर

खेल और सेहत के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम आज की लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए प्राचीन चिकित्सा के सिद्धांतों को सिखा रहे हैं.

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खेल और सेहत के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम आज की लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए प्राचीन चिकित्सा के सिद्धांतों को सिखा रहे हैं.

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नया क्या है?
-योगिक साइंस, आयुष ऐंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी, रायपुर
 -स्पा थेरेपी, आनंद स्पा इंस्टीट्यूट, हैदराबाद
-स्पोर्ट्स कोचिंग, कार्डिफ मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी, यूके
-स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन, बी.एम.एन. होम साइंस कॉलेज, मुंबई
-सैलून मैनेजमेंट, एमटीआइ कॉलेज, यूएसए
-कॉस्मेटोलॉजी, रिजेंसी ब्यूटी इंस्टीट्यूट, यूएसए

योगिक साइंस और थेरेपी की लोकप्रियता बढ़ रही है
फिक्की के अनुसार भारत में तंदुरुस्ती या वेलनेस का पूरा बाजार 490 अरब रुपये का है, जिसमें केवल वेलनेस पाठ्यक्रमों का ही 40 फीसदी योगदान है. इस मांग के बावजूद अब भी स्किल्ड वर्कर्स की कमी है. अनुमान है कि इस उद्योग को अगले 5 सालों में 6 लाख अतिरिक्त वर्कर्स की आवश्यकता होगी.

इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देशभर में काफी संख्या में स्पा थेरेपी, स्वास्थ्य और खेल संस्थान खुले हैं, जो पोषण और खेल प्रबंधन की पारंपरिक डिग्री को छोड़कर बहुत-कुछ उपलब्ध कराते हैं. इसके बदले नए दिलचस्प विकल्प मिल सकते हैं, जैसे स्पा और सैलून प्रबंधन, योग विज्ञान, कॉस्मेटोलॉजी या थेराप्युटिक मसाज वगैरह में डिग्री.

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दिल्ली के शिवानंद आश्रम से योग विज्ञान का अध्ययन करने वाली 26 वर्षीया अनुराधा अग्रवाल का कहना है, 'एक विशेष डिग्री का अध्ययन करना कहीं बेहतर विकल्प है, क्योंकि इससे आप एक खास क्षेत्र में निपुण हो जाते हैं. इससे आपकी ज्यादा मांग होती है, क्योंकि वे आपको एक विषय में विशेषज्ञ के रूप में पहचानते हैं.'

चाहे वह योग हो या फिर स्पा थेरेपी, मसाज, पिलेट्स, जुंबा और रिहैबिलेशन हो; पिछले कुछ सालों में खेल और वेलनेस उद्योग में बहुत विविधता आई है. वीएलसीसी के प्रबंध निदेशक संदीप आहूजा कहते हैं, 'हेल्थकेयर की लागत बढऩे की वजह से लोग स्वास्थ्य संबंधी विकल्प चुन रहे हैं. बचाव इलाज से बेहतर है.'

पिलेट्स एक ऐसा ही वेलनेस विकल्प है जो भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसके प्रशिक्षकों और स्‍टूडियो की संख्या में भी वृद्धि हुई है. भारत में प्रमाणित पिलेट्स प्रशिक्षकों के लिए रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है. भारत में एकमात्र स्कॉट पिलेट्स इंस्ट्रक्टर और द माइंड ऐंड बॉडी स्‍टूडियो की संस्थापक अंजलि सरीन कहती हैं, 'पहले खेल का अभ्यास चंद लोग ही करते थे, लेकिन आज आप एक सक्षम पिलेट्स स्टुडियो, फिटनेस सेंटर, जिम, रिहैबिलिटेशन क्लीनिक, अस्पताल, रिजॉर्ट और पांच सितारा होटलों में भी रोजगार के अवसरों को खोज सकते हैं.'

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जिस तरह से रोजगार के अवसर बढ़े हैं, उसी तरह विभिन्न करियर में स्पेशलाइजेशन भी बढ़ा है. इस क्षेत्र में नया ट्रेंड किसी स्पेशलाइजेशन के अंदर भी विशेषज्ञता हासिल करना है. जैसे कि एक स्पोर्ट्स कोच के रूप में रिहैबिलिटेशन मेडिसिन में और स्पा थेरेपी के तहत हॉट स्टोन थेरेपी में विशेषज्ञ होना. भारत में पिलेट्स प्रशिक्षण में नए पाठ्यक्रमों के उभरने का उद्देश्य व्यक्तियों को रिफॉर्मर और मैट पिलेट्स में प्रशिक्षित और प्रमाणित करना है. सरीन कहती हैं, 'ये कोर्स छात्रों को मशीनों और चटाई पर पिलेट्स के प्रशिक्षण के बारे में व्यापक ज्ञान देते हैं. बेशक, स्पेशलाइजेशन से मदद मिलती है.'

तो अगर खेल और वेलनेस का क्षेत्र आपको उत्साहित करता है तो इसमें ऐसा स्पेशलाइजेशन पाने की तलाश शुरू कर दें, जिसमें आपकी खास रुचि हो.

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