फरीदाबाद के अलफलाह मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रबंधन के रवैए से नाराज होकर कॉलेज में हड़ताल कर दी है. छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन पूरी तरह से लूट पर उतारू है और पढ़ाई के लिए सुविधाएं देने के नाम पर कुछ नहीं कर रहा है.
हड़ताल का रहे कॉलेज के छात्र ने नाम न छापने के अनुरोध पर ‘आजतक’ से बात करते हुए बताया कि उन्होंने सन 2019 में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था. उनका कोर्स साढ़े चार साल का था, इसके बाद उन्हें 1 साल इंटर्नशिप करनी थी. करीब 2 महीने से वह इंटर्नशिप कर रहे हैं.
छात्रों को नहीं दिया जा रहा पूरा स्टाइपेंड
नियमानुसार इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को 17,000 रुपये स्टाइपेंड दिया जाना चाहिए, जबकि उन्हें केवल 12,000 रुपए स्टाइपेंड दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिवर्ष उनसे 14.25 लाख रुपए की फीस ली गई है. इसके बावजूद उनके साथ यह व्यवहार किया जा रहा है.
एक छात्र ने यह भी बताया कि साल 2019 में एडमिशन लेने के बाद जब 2020 में कोविड लॉकडाउन शुरू हो गया, तो उसे समय करीब 9 महीने तक छात्र कॉलेज नहीं आए. इस दौरान हॉस्टल भी इस्तेमाल नहीं किया गया. फिर साल 2021 में जब लॉकडाउन लगा, तब भी करीब 4 महीने छात्र हॉस्टल में नहीं रहे.
हॉस्टल में नहीं रहे छात्र, फिर भी लिया किराया
उन्होंने बताया कि जिस कमरे में दो छात्र रहते हैं, उसका सालाना किराया 2.83 लाख रुपए और जिस कमरे में तीन छात्र रहते हैं उसका सालाना किराया 1.83 लाख रुपए है. इस हिसाब से करीब 13 महीने छात्र हॉस्टल में नहीं रहे और यूजीसी की गाइडलाइन के हिसाब से 1 साल का हॉस्टल किराया नहीं लिया जाना चाहिए. मगर, इसके बावजूद उनसे किराया लिया गया.
अलफलाह कॉलेज से ही पीजी कर रहे छात्र ने बताया कि उनका पीजी का यह फर्स्ट बैच साल 2023 में अक्टूबर में शुरू हुआ है. 1 साल की फीस करीब 30 लाख रुपए अक्टूबर में जमा करा चुके हैं. मगर, दूसरे साल की फीस के लिए अभी से पैसे की डिमांड की जा रही है, जबकि फीस अक्टूबर में ड्यू होगी.
आईसीयू में नहीं है जरूरी सामान, कैसे सीखेंगे छात्र
उन्होंने बताया कि आईसीयू में जरूरी सामान ही नहीं है. इसकी वजह से पीजी कर रहे छात्र अपनी पढ़ाई ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि आईसीयू में सेनिटाइजर और ग्लव्स तक नहीं है. नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है. वेंटिलेटर को चलाने के लिए पावर बैकअप नहीं है.
अगर कोई सीरियस पेशेंट आता भी है, तो उसको रेफर करना पड़ता है. ऐसे में अगर छात्र आईसीयू में मरीजों का इलाज करना नहीं सीखेंगे, तो फिर वह भविष्य में मरीजों का इलाज कैसे करेंगे. उन्होंने बताया कि केवल आईसीयू में ही 15 जरूरी चीजों की कमी है, जिसके बारे में लिखित रूप में भी दिया जा चुका है.
कॉलेज प्रबंधन ने बुलाए बाउंसर्स, छात्रों को कर रहे बाहर
मगर, कॉलेज प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं हुआ. अब जब हमने स्ट्राइक की है, तो हमारे घर वालों को फोन करके धमकाया जा रहा है. हमें नोटिस दिए गए हैं कि तुम्हें सस्पेंड किया जाता है और हॉस्टल तुरंत खाली किया जाए. बाउंसर्स को बुलाकर छात्रों को कॉलेज से निकाला जा रहा है.
छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यहां बहुत सारे प्रोफेसर केवल कागजों में ही हैं. यहां पढ़ाने के लिए प्रोफेसर का अभाव है. इस बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पीके सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.