scorecardresearch
 

झांसी की रानी ने बनाई थी 14000 बागियों की सेना, अंग्रेजों ने माना लोहा

हम सभी ने लक्ष्मीबाई की कहानी सुनी है, लेकिन सुभद्राकुमारी चौहान ने अपनी कलम के जरिए उनकी जो बहादुरी हमारे सामने रखी, उसकी मिसाल दूसरी कोई नहीं.  रानी लक्ष्मीबाई को हमारा नमन...

Advertisement
X
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

Advertisement

1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों के ख‍िलाफ जमकर लोहा लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 19 नवबंर को मनाई जाती है. उनका जन्म 19 नवंबर, 1828 को हुआ था. 1857 में विद्रोह की जो चिंगारी सुलगी, वही आगे चलकर भारत को आजादी दिखाने वाली मुकम्मल रोशनी सााबित हुई. जन्‍मदिन के मौके पर आइए जानते हैं रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के बारे में.

वो बनारस की गलियां...

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ. उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया. जब लक्ष्मी बारी 4 बरस की थीं, जब उनकी मां गुजर गईं. पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के पेशवा के यहां काम करते थे और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पाला. प्यार से नाम दिया छबीली.

400 साल पुराना है केदारनाथ मंदिर का इतिहास, खास पत्थरों से हुआ निर्माण

Advertisement

झांसी की ओर बढ़े कदम

मणिकर्णिका का ब्याह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुआ और देवी लक्ष्मी पर उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा. बेटे को जन्म दिया, लेकिन 4 माह का होते ही उसका निधन हो गया. राजा गंगाधर ने अपने चचेरे भाई का बच्चा गोद लिया और उसे दामोदार राव नाम दिया गया.

रानी से मर्दानी तक

राजा का देहांत होते ही अंग्रेजों ने चाल चली और लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के पैर पसारने के लिए झांसी की बदकिस्मती का फायदा उठाने की कोशिश की. अंग्रेजों ने दामोदर को झांसी के राजा का उत्तराधिकारी स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

भारत का ये वित्त मंत्री बना था पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री

झांसी को बचाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने बागियों की फौज तैयार करने का फैसला किया. उन्हें गुलाम गौस खान, दोस्त खान, खुदा बख्श, सुंदर-मुंदर, काशी बाई, लाला भऊ बख्शी, मोती भाई, दीवान रघुनाथ सिंह और दीवान जवाहर सिंह से मदद मिली. 1857 की बगावत ने अंग्रेजों का फोकस बदला और झांसी में रानी ने 14000 बागियों की सेना तैयार की.

जब झांसी बना मैदान-ए-जंग

रानी लक्ष्मीबाई, अंग्रेजों से भिड़ना नहीं चाहती थीं लेकिन सर ह्यूज रोज की अगुवाई में जब अंग्रेज सैनिकों ने हमला बोला, तो कोई और विकल्प नहीं बचा. रानी को अपने बेटे के साथ रात के अंधेरे में भागना पड़ा.

Advertisement

गूगल डूडल पर छाई दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला

अंग्रेजों ने माना मर्दानी का लोहा

ब्रिटिश सेना ने तीन दिन बाद ही ग्वालियर पर कब्जा कर दिया. अंग्रेज टुकड़ी की अगुवाई कर रहे ह्यूज रोज ने रानी लक्ष्मीबाई को सबसे चतुर और खतरनाक भारतीय नेता करार दिया. 20 बरस बाद कर्नल मैलसन ने लिखा, 'अंग्रेजों की नजर में वो कोई भी हों, लेकिन हिंदुस्तानी उन्हें हमेशा ऐसी  मर्दानी के रूप में याद रखेंगे, जो अन्याय की वजह से बागी बनीं, देश की लिए जी और मर गईं.

ग्वालियर के फूल बाग इलाके में मौजूद उनकी समाधि आज भी मर्दानी की कहानी बयां कर रही है. हम सभी ने लक्ष्मीबाई की कहानी सुनी है, लेकिन सुभद्राकुमारी चौहान ने अपनी कलम के जरिए उनकी जो बहादुरी हमारे सामने रखी, उसकी मिसाल दूसरी कोई नहीं.

Advertisement
Advertisement