मध्य प्रदेश में सरकार हर बच्चे को शिक्षा मुहैया करा रही है! दावा तो यही है, मगर दावे हकीकत से बहुत दूर नजर आते हैं, क्योंकि पांच हजार 295 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां कोई टीचर नहीं है .
अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ द्वारा होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में 'सोशल मीडिया और शिक्षा' विषय पर आयोजित एक दिवसीय वर्कशॉप में जो तथ्य सामने आए हैं, वे राज्य की शिक्षा व्यवस्था का खुलासा करने के लिए पर्याप्त हैं.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि राज्य में एक लाख 14 हजार 444 सरकारी स्कूल हैं, इनमें इनमें प्राइमरी और प्राइवेट स्कूल शामिल हैं. इन स्कूलों में 6 से 13 वर्ष की आयु के कुल एक करोड़ 35 लाख 66 हजार 965 बच्चेपढ़ते हैं. सितंबर 2014 में आई यू-डाइस (एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली) के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के 5,295 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें टीचर ही नहीं है.
राज्य में शिक्षा का अधिकार लागू होने के पांच साल बाद की शालाओं की बदहाली की कहानी यहीं नहीं रुकती. एक तरफ जहां टीचर्स के बिना स्कूल हैं, वहीं 17 हजार 972 स्कूल ऐसे हैं जो एक टीचर के भरोसे है.
यू डाइस की रिपोर्ट बताती है कि स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए आरटीई के तहत तय किए गए दिशा निर्देशों का भी ठीक तरह से पालन नहीं हो रहा है. हाल यह है कि सरकारी स्कूलों में औसतन 33 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है.24 हजार से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां एक टीचर 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं. वहीं 19 हजार से ज्यादा स्कूलों में एक क्लास में 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स को बैठना पड़ता है.