अधिकतर लड़कियां खुद को लड़कों की अपेक्षा गणित में कमजोर मानती हैं, जबकि ऐसा होता नहीं है. हाल ही में सामने आए एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि ऐसा लड़कियों में आत्मविश्वास की कमी के कारण होता है और यही कारण है कि बहुत कम लड़कियां विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा लेती हैं.
जहां तक गणित की बात है, लड़कियां
खुद को लड़कों से इसमें कमतर मानती हैं,
हालांकि लड़कियों और लड़कों के बीच गणित
को लेकर किसी तरह की असमानता से
संबंधित कोई प्रामाणिक अंतर नहीं है.
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मुख्य अध्ययनकर्ता अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्राध्यापक लारा पेरेज फेल्कनर का कहना है कि लगातार ऐसा तर्क दिया जा रहा है कि उच्च शिक्षा में विज्ञान विषयों में लैंगिक विषमता योग्यता को दर्शाती है. लेकन जब हमने गणित में योग्यता की परीक्षा ली तो पाया कि लड़के और लड़कियां बराबर योग्य हैं. इस समानता के बावजूद लड़के खुद को गणित में बेहतर मानते हैं, जबकि लड़कियां खुद को कमतर मानती हैं.
हाल के दशक में पूरी दुनिया में उच्च
शिक्षा ग्रहण करने वाली लड़कियों की संख्या में
वृद्धि दर्ज की गई है. इसके बावजूद भौतिकी,
इंजिनीयरिंग, गणित और कंप्यूटर विज्ञान में
महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम बना हुआ है.
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अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि गणित में उच्च शिक्षा प्राप्त कुशल व्यक्तियों के बीच भी गणित में योग्यता को लेकर पूर्वग्रह का स्तर वैसा ही है.
समान रूप से योग्य होने के बावजूद
जहां लड़के कहीं अधिक आत्मविश्वास से भरे
नजर आए, वहीं लड़कियों का आत्मविश्वास
कमजोर रहा.
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शोध-पत्रिका 'फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी' के ताजा अंक में प्रकाशित यह अध्ययन अमेरिका में छह वर्षों तक 10वीं कक्षा के छात्रों पर किया गया.