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कोर्स कॉम्बिनेशन से हासिल करें कामयाबी

आंकड़ों में नहीं उलझना चाहते? एम्प्लॉई साइकोलॉजी को फाइनेंस में डिग्री के साथ जोडऩे जैसे नए अनूठे कॉम्बिनेशन अपनाएं...

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आंकड़ों में नहीं उलझना चाहते? एम्प्लॉई साइकोलॉजी को फाइनेंस में डिग्री के साथ जोडऩे जैसे नए अनूठे कॉम्बिनेशन अपनाएं...

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भारतीय फाइनेंस इंडस्ट्री अब 1.17 खरब डॉलर की हो गई है और अगले वर्षों में इसमें चौंकाने वाली बढ़त देखने को मिल सकती है. आइबीए-फिक्की-बीसीजी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2025 तक यह इंडस्ट्री बढ़कर 28,500 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है जिसके बाद भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बैंकिंग इंडस्ट्री हो जाएगी. ये आंकड़े बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के सूचक हैं जिससे ग्लोबल फाइनेंस मैप पर देश का स्थान मजबूत होता जा रहा है. इसका मतलब है कि उन लोगों का भविष्य भी उत्साहजनक है जो फाइनेंस में चुनौतीपूर्ण करियर बनाना चाहते हैं क्योंकि दिग्गज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में टैलेंट की खोज शुरू कर दी है.

आज फाइनेंस सेक्टर में ट्रेडिशनल कोर्स से परे काफी कुछ उपलब्ध है और कई यूनिवर्सिटी इस फील्ड में रोचक प्रोग्राम चला रही हैं, जिनसे रोजगार के अवसर खुल जाते हैं. इमैर्टिकस लर्निंग कॉर्पोरेट सर्विसेज और फैकल्टी ऑफ मार्केटिंग के हेड सुरेश राव बताते हैं, ‘फाइनेंस के क्षेत्र में कई आला दर्जे के कोर्स उपलब्ध हैं और यह स्टुडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. फाइनेंस में और जनरल कोर्सेज के अलावा ये कोर्स इन्वेस्टमेंट बैंकिंग टेक्नोलॉजी, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग ऑपरेशन और इंटरनेशनल फाइनेंस जैसे स्पेशलाइज्ड फील्ड में हैं. इन कोर्सेज को करने के बाद रोजगार के अवसर के लिहाज से स्टुडेंट्स के सामने इन्वेस्टमेंट बैंकों का समूचा पहलू खुला हुआ है.’
 
नया क्या है?
- बैंकरप्सी ऐंड रीऑर्गेनाइजेशन: एनवाइयू स्टर्न, यूएसए
- बिहेवियरल फाइनेंस: डी पॉल यूनिवर्सिटी, यूएसए
- फाइनेंशियल इंजीनियरिंग: आइएफएमआर, चेन्नै
- फाइनेंशियल प्लानर: सेंटर फॉर फाइनेंशियल लर्निंग, आइसीआइसीआइ
- फाइनेंशियल रिस्क मैनेजमेंट: आइएफसीआइ रिस्क इंस्टीट्यूट, स्विट्जरलैंड
- प्राइवेट इक्विटी: लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, यूके

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फाइनेंस के ऐसे ही कुछ नए स्पेशलाइजेशन में से यूएसए की डी पॉल यूनिवर्सिटी द्वारा बिहेवियरल फाइनेंस में एमबीए ऑफर किया जा रहा है, जो फाइनेंस में सबसे तेजी से बढ़ती मांग वाला स्पेशलाइजेशन है. इस कोर्स का उद्देश्य स्टुडेंट्स को एसेट सेलेक्शन और परफॉर्मेंस मेजरमेंट की व्यापक जानकारी से लैस करना है. देश में भी इस तरह के कोर्सेज की कमी नहीं है. चेन्नै का इंस्टीटयूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, फाइनेंशियल इंजीनियरिंग में दो साल का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स ऑफर कर रहा है. यह कोर्स किसी स्टुडेंट को फाइनेंशियल मार्केट में प्रोडक्ट्स को समझने और उनके मैनेजमेंट में माहिर बनाता है.

इस तरह के स्पेशलाइज्ड कोर्सेज की आज बहुत ज्यादा मांग है और यह उन एमप्लॉयर को आकर्षित करते हैं, जो किसी खास तरह के स्किल वाले लोगों की तलाश में रहते हैं. स्पेशलाइज्ड स्किल के साथ कोई ग्रेजुएट बेहद कॉम्पीटिटिव मार्केट में अलग दिखता है और इस तरह अपने समूचे करियर प्रॉस्पेक्ट्स को और बेहतर बना सकता है. राव कहते हैं, ‘ज्यादातर ग्लोबल बैंक भारत में अपनी ब्रांच खोल रहे हैं और इसलिए स्किल्ड प्रोफेशनल्स की जरूरत बहुत तेजी से बढऩे वाली है. बैंकों के अलावा कॉर्पोरेट फाइनेंस में भी ऐसे स्टुडेंट संभावनाएं तलाश सकते हैं.’

कमाई के मामले में सफलता का टाइम हो या असफलता का, आधुनिक समय के ऑर्गेनाइजेशन में फाइनेंस एक्सपर्ट की भूमिका लगातार बढ़ती ही जा रही है.

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