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भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं रुखमाबाई, गूगल ने बनाया डूडल

सर्च इंजन गूगल ने आज डूडल के जरिए भारत की पहली महिला डॉक्टर कही जाने वाली रुखमाबाई राऊत को सम्मान दिया है. गूगल ने अपने डूडल में रुखमाबाई की एक तस्वीर लगाई है और साथ ही में एक अस्पताल की तस्वीर भी है, जिसमें मरीज और महिला डॉक्टर दिखाई दे रहे हैं.

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फोटो साभार- गूगल डूडल
फोटो साभार- गूगल डूडल

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सर्च इंजन गूगल ने आज डूडल के जरिए भारत की पहली महिला डॉक्टर कही जाने वाली रुखमाबाई राउत को सम्मान दिया है. गूगल ने अपने डूडल में रुखमाबाई की एक तस्वीर लगाई है और साथ ही में एक अस्पताल की तस्वीर भी है, जिसमें मरीज और महिला डॉक्टर दिखाई दे रहे हैं. 22 नवंबर 1864 को रुखमाबाई राउत का जन्म हुआ था. उनकी शादी महज 11 वर्ष की उम्र में 'दादाजी भिकाजी' (19) से हो गई थी.

कौन थीं रुखमाबाई राउत?

रुखमाबाई राउत ब्रिटिश भारत में शुरुआती अभ्यास करने वाली डॉक्टरों में से एक थीं. रुखमाबाई ने उस वक्त सराहनीय कार्य किए थे, जब महिलाओं को विशेष अधिकारों से वंचित रखा जाता था. उस दौरान उन्होंने अपने अधिकारों के लिए अपनी शादी का विरोध करते हुए अपने पति के खिलाफ ही केस लड़ा था.

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ऐसी शख्सियत जिसने पूरा जीवन लगा दिया मानव सेवा में

जयंतीबाई और जनार्दन पांडुरंग की बेटी रुखमाबाई ने आठ साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था और उनकी 11 साल की उम्र में शादी हो गई थी. हालांकि शादी के बाद भी वो अपनी मां के साथ ही रहती थीं. सात साल बात उनके पति ने पत्नी को अपने साथ रखने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन रुखमाबाई ने जाने से मना कर दिया.

उनके घरवालों ने उनका साथ दिया और कोर्ट में केस लड़ा, लेकिन दादादी ने यह केस जीत लिया और उन्हें अपने पति के साथ जाने का आदेश दिया गया. रुखमाबाई ने अपने तर्कों से, 1880 के दशक में प्रेस के माध्यम से लोगों को इस पर ध्यान देने पर विवश कर दिया. इस प्रकार रमाबाई रानडे और बेहरामजी मालाबारी सहित कई सामाज सुधारकों की जानकारी में यह मामला आया.

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इस मामले के बाद रुखमाबाई ने डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षिण लिया, जिसके बाद उन्होंने इस जगत में 35 साल तक काम किया, वह अपनी डॉक्टरी में सफल होने के बाद रुकीं नहीं इसके बाद वह बाल विवाह के खिलाफ लिख कर समाज सुधारक का कार्य भी करती रहीं.

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