स्मृति ईरानी की शिक्षा पर भले ही बवाल मचा हो लेकिन शिक्षा नीति को लेकर लगता है उनकी स्पष्ट सोच है. शिक्षकों की शिक्षा और ट्रेनिंग के लिए सरकार रिफार्म के मूड में है. इसी कड़ी में पहले कदम के तौर पर सरकार बीएड और एमएड का स्वरूप बदलने पर विचार कर रही है. सरकार इन दोनो कोर्स की अवधि एक से बढ़ाकर दो साल करने जा रही है. स्मृति ईरानी ने ये फैसला 250 से भी ज्यादा सेंट्रल और स्टेट यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से मुलाकात के बाद किया.
इस बैठक में शामिल हुए एक कुलपति ने कहा कि शिक्षकों की ट्रेनिंग का अधिकार यूनिवर्सिटी को देने और अवधि बढ़ाने को लेकर सभी एकमत थे. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजेकुशन (एनसीटीई) की पूनम बत्रा कमेटी ने जुलाई में ही कहा था कि कोर्स की अवधि बढ़ाने का कार्य चरणबद्ध ढंग से किया जाना चाहिए. कमेटी ने शिक्षकों की ट्रेनिंग में अन्य विषयों को भी शामिल करने का सुझाव दिया था. मानव संसाधन मंत्री ने शिक्षकों की ट्रेनिंग को उच्च शिक्षा से जोड़नें की बात भी कही.
शिक्षकों से जुड़े इन फैसलो को प्रधानमंत्री के शिक्षक दिवस पर दिए गए भाषण से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि शिक्षकों की ट्रेनिंग में रिफॉर्म के सुझाव 2012 में जस्टिस वर्मा कमीशन ने भी दिए थे. शिक्षकों की ट्रेनिंग इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) के तहत कराने की बात भी इस बैठक में की गई.
गौरतलब है कि मोदी ने शिक्षक दिवस के अपने भाषण में शिक्षकों से आईसीटी के तहत ट्रेनिंग लेने की बात कही थी ताकि वें छात्रों को बेहतर ढंग से समझा पाए.