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नर्सरी से 12वीं कक्षा तक के लिए एक शिक्षा नीति बनाने की तैयारी शुरू

सरकार ने नर्सरी से 12वीं तक की स्कूली शिक्षा की एक नीति बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. जानें क्या होगा खास...

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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1 फरवरी 2018 को आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शिक्षा को लेकर कई ऐलान किए थे. जिसमें जेटली ने नर्सरी से 12वीं तक शिक्षा नीति पर जोर देते हुए कहा था कि अब नर्सरी से 12वीं तक के लिए एक ही शिक्षा नीति बनेगी. वहीं अब सरकार ने नर्सरी से 12वीं तक की स्कूली शिक्षा नीति को एक बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि ‘सर्व शिक्षा अभियान को नये रूप में पेश किया जायेगा और इस पर काम चल रहा है’.

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जानें क्यों लिया एक शिक्षा नीति बनाने का फैसला

नर्सरी से 12वीं क्लास तक की एक नीति बनाने का फैसला इसलिए लिया गया, ताकि हर कक्षा के छात्रों को ऐसी शिक्षा मिल सकें जिसके चलते वह आगे रोजगार प्राप्त करने में समर्थ हो. बता दें, पहले प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग नीति होती थी लेकिन अब पूर्ण रूप शिक्षा की एक ही नीति होगी. जिसका फायदा छात्रों को मिल सकता है.

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वहीं अरुण जेटली ने कहा था कि वर्तमान में शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है. साथ ही चाहते हैं कि भविष्य में छात्र तरक्की करें, तो वर्तमान में उनके प्रशिक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे में एक ही शिक्षा नीति होने से छात्रों को इसका भरपूर फायदा मिल सकता है. सरकार का इरादा इस साल मार्च तक इस उद्देश्य के लिए कानून लाने का है, ताकि एक अप्रैल यानी नए शैक्षणिक सत्र से देश भर में एक शिक्षा नीति योजना लागू किया जा सके.

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टुकड़ों में बंटी है शिक्षा

आज शिक्षा का स्तर काफी बिगड़ा हुआ है. मौजूदा समय में देश में स्कूली शिक्षा टुकड़ों में बंटी है प्राथमिक शिक्षा का संचालन सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा के अधिकार अधिनियम जैसे कानूनों के तहत किया जा रहा है, जबकि माध्यमिक शिक्षा का संचालन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत हो रहा है, जबकि नर्सरी को अभी तक स्कूली शिक्षा में कहीं जगह ही नहीं मिली है. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जल्द ही कैबिनेट के सामने इससे संबंधित कानून को रखा जायेगा, जिसकी मंजूरी के बाद ही इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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होगा एक बजट

अधिकारियों के मुताबिक इस नए बदलाव के साथ ही सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, मिड-डे मील जैसी तमाम योजनाओं का बजट एक हो जाएगा. बजट में फिलहाल इन योजनाओं को अलग-अलग आवंटन जारी किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए करीब 2628 करोड़ दिए गए हैं, जबकि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को 383 करोड़ और मिड-डे मील को 233 करोड़ रुपए दिए गए हैं. इसके अलावा सरकार ने बजट में स्कूली शिक्षा के बजट को करीब आठ फीसदी बढ़ाते हुए 50 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है.

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