आज के दौर में एक सही कैंडिडेट की हायरिंग काफी मुश्किल है. अकसर कंपनियों की शिकायत होती है कि अधिकतर ग्रेजुएट जो हायर किए जा रहे हैं वो अप टू द मार्क नहीं हैं. इसी को लेकर पेश हैं टाटा स्टील के HR मैनेजमेंट के वाइस प्रेसिडेंट सुरेश दत्त त्रिपाठी से बातचीत के कुछ अंश:
सवाल: ऐसी क्या खूबी है जिसे आप जॉब देते समय एप्लीकेंट में देखते हैं?
जवाब: जॉब के लिए एप्लाई करने वाले कैंडिडेट में हम सबसे पहले देखते हैं कि क्या वह टाटा कल्चर के लिए फिट है या नहीं. क्या वो हमारे अंडरस्टैंडिंग, सभी के साथ मिलकर काम करना, जैसे माहौल में काम कर सकते है या नहीं. यहीं नहीं कैंडिडेट में हम तकनीकी ज्ञान और कौशल के अलावा हम प्रॉब्लम सॉल्विंग और क्वालिटी ऑफ एक्सीपीरियंस, लोगों के मैनेजमेंट से लेकर तमाम खूबियां भी जांचते हैं.
सवाल: ऐसी क्या कमी है जो आपको ग्रेजुएट हायरिंग के दौरान अधिकतर लोगों में दिखी?
जवाब: मैंने कई ग्रेजुएट से बात की है. अधिकतर ग्रेजुएट से बात करने में एक चीज कॉमन नजर आई, वो थी अपने करियर को लेकर वो एकमत नहीं थे. उन्हें नहीं पता था उन्हें क्या करना है. वो लोग बस एक्सीडेंटली प्रोफेशन चुन रहे हैं.
सवाल: किसी भी कैंडिडेट को कैंपस से सीधे जॉब मार्केट में आने पर खुद में बेसिक चेंज लाने चाहिए?
जवाब: ऑफिस और कैंपस के माहौल में काफी चेंज होता है. इसलिए कैंडिडेट को इसके अनुरूप काफी बदलाव करने चाहिए. सबसे पहले उसे काफी जिम्मेदार और अकाउंटेबल होना चाहिए. यही नहीं उसे रिलेशनशिप डेवलप करना, फैसले लेना और लॉजिक्ली अपनी बात सामने रखना भी बखूबी आना चाहिए.
सवाल: कैंडिडेट को हायर करने में सोशल मीडिया का क्या रोल है?
जवाब: कंपनिया आज के दौर में सोशल मीडिया के जरिए कैंडिडेट के नजदीक आ रही हैं. फेसबुक, ट्विटर जैसे तमाम ऑप्शन हैं जिनसे कैंडिडेट के बारे में काफी पर्सनल जानकारी मिल जाती है. इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिए आप कैंडिडेट का बैकग्राउंड तो चैक कर ही सकते हैं साथ ही काम को लेकर भी काफी असेसमेंट कर सकते हैं.