भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गुजरात सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में प्राइमरी स्कूलों में शौचालय और पेयजल सुविधा की उपलब्धता पर प्रदान की गई सूचना को अविश्वसनीय बताया है. कैग ने कहा कि आंकड़ों की जांच किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह शिक्षा के अधिकार कानून के कार्यान्वयन से संबंधित है.
कैग ने गुजरात के 10 जिलों में 14 हजार 797 प्राइमरी स्कूलों का अनुपालन ऑडिट किया था. इन स्कूलों का संचालन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाएं करती हैं. इसके अलावा 300 प्राइमरी स्कूलों का संयुक्त फील्ड विजिट भी किया था ताकि आधारभूत संरचना और मानव संसाधनों के संबंध में आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन की जांच की जा सके.
कुल मिलाकर, गुजरात में पंचायती राज संस्थाओं द्वारा संचालित 31 हजार 545 प्राइमरी स्कूल हैं.
अनुपालन ऑडिट मार्च 2013 में समाप्त हुए वर्ष के लिए गुजरात में स्थानीय निकायों पर कैग रिपोर्ट का हिस्सा थी. इसे राज्य विधानसभा में पेश किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार गुजरात प्राथमिक शिक्षा परिषद (जीसीईई) ने दावा किया कि उसके अंतर्गत सभी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय सुविधा है, जो आरटीई अधिनियम के तहत जरूरी है. वह राज्य संचालित प्राथमिक विद्यालयों में आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए जिम्मेदार है.