गुजरात सरकार चाहती है कि राज्य के पीएचडी छात्र सरकारी योजनाओं पर शोध करें और इसलिए उसने संभावित विषयों की एक सूची जारी की है. हालांकि सरकार के इस कदम की शिक्षाविदों ने कड़ी आलोचना की है.
शोध के लिए सुझाए गए विषय
महात्मा गांधी स्वच्छता मिशन, कन्या केलावनी, गुणोत्सव, गरीब कल्याण मेला, वाजपेयी बैंकबाबले योजना, मुख्यमंत्री अमृतम योजना शामिल हैं.
शिक्षाविदों का पक्ष
शिक्षाविदों ने कहा है कि सरकार को छात्रों एवं पीएचडी के लिए मार्गदर्शन करने वाले शिक्षकों पर विषय थोपने नहीं चाहिए और यदि कोई किसी सरकारी योजना पर शोध करने का फैसला करता है तो उसे स्वतंत्र रूप से संचालित करना चाहिए. कांग्रेस ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे शोध कभी स्वतंत्र नहीं होंगे .
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, इस बात की संभावना बेहद कम है कि सरकारी योजनाओं पर की जाने वाली पीएचडी स्वतंत्र होगी, क्योंकि सरकार इसके नतीजों को प्रभावित करेगी. ऐसा इसलिए कि सरकार कभी नहीं चाहेगी कि उसकी योजनाओं के पीछे के घोटाले सामने आएं. शोध के मामले में यहां के विश्वविद्यालय पहले ही दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों से काफी पीछे हैं. पीएचडी के विषय पर फरमान जारी करने से शोध की गुणवत्ता प्रभावित होगी.
सरकार का पक्ष
विषय की सूची जारी करने वाले राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त की अध्यक्षता वाले स्वतंत्र संगठन नॉलेज कंर्सोटियम ऑफ गुजरात के सलाहकार ए यू पटेल ने कहा, सरकार ने विश्वविद्यालयों को अपने छात्रों और उनके शिक्षकों को यह सुझाव देने के लिए कहा है कि वे इसकी ओर से बताए गए विषयों में से किसी को भी चुन सकते हैं, ताकि शोध के नतीजों का इस्तेमाल योजनाओं में सुधार के लिए किया जा सके.