आज आपको ऐसे ही शख्स ही कहानी बताने जा रहे हैं जो गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए हर हफ्ते गुड़गांव से उत्तराखंड का सफर करता है. इस शख्स का नाम आशीष है.
जानें-कौन हैं आशीष
आशीष गुड़गांव में एक मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में नौकरी करते हैं. बच्चों को पढ़ाना उन्हें अच्छा लगता है जिसके चलते वह हर हफ्ते अपने गांव जाते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. बता दें, उनका गांव तिमली पौड़ी-गढ़वाल जिले में है.
ये कहना सही होगा कि बच्चों को शिक्षा देना उनके खून में है. साल 1882 में उनके दादा जी के दादा जी ने एक संस्कृत स्कूल खोला था. उस दौरान वह गढ़वाल, हिमालय में एकमात्र संस्कृत स्कूल होता था जिसे संयुक्त प्रांत (ब्रिटिश सरकार) द्वारा मान्यता प्राप्त थी. एक समय ऐसा था जब इस स्कूल में काफी छात्र पढ़ने आते थे. लेकिन साल 2013 में जब आशीष को मालूम चला कि उस स्कूल में केवल तीन छात्रों ने अपना दाखिला कराया है तो उन्हें इस बात से काफी फर्क पड़ा. वह जल्द ही समझ गए थे कि स्कूल में गरीबी के चलते कोई भी नहीं पढ़ने नहीं आ पा रहा है.ये सब देखने के बाद आशीष ने अपने गांव के पास में ही अपने रिश्तेदारों की मदद से एक कंप्यूटर सेंटर खोल दिया और नाम रखा 'द यूनिवर्सल गुरुकुल'. इस सेंटर में तिमली और आसपास के इलाकों के बच्चे कंप्यूटर सीखने आते हैं. आशिष का कहना है कि 'इस गांव से मेरा शुरू से लगाव से था. भले ही मैं शहर में जाकर बस गया था, लेकिन यहां के बच्चों को शिक्षित करना ही मेरा लक्ष्य है ताकि भविष्य में बेहतर नौकरी मिल यहां के बच्चों को मिल सके.
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ऐसे हुई सेंटर खोलने की शुरुआत
आशीष के लिए कंप्यूटर सेंटर खोलना इतना आसान नहीं था. उन्होंने सेंटर खोलने के लिए पैसे जुटाए और कई नौकरियां बदली. इसके बाद अपनी पत्नी और भाई की मदद से कंप्यूटर सेंटर शुरू किया.लाखों रुपये कमाती है ये बिना पैरों वाली मॉडल
वह साल 2013 में वे गुड़गांव में शिफ्ट हुए थे और 2014 से कंप्यूटर सेंटर की शुरुआत हुई. बच्चों को शिक्षित करने मुहिम में जुटे आशीष का जज्बा कमाल का है. वह हर हफ्ते गुड़गांव से तिमली जाते हैं और कंप्यूटर सेंटर के साथ ही पास के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं.
ISBT से बस पकड़ते हैं उत्तराखंड के लिए बस
बच्चों को पढ़ाने के लिए आशीष ISBT से बस पकड़ते हैं. उन्होंने बताया 'जिस गांव में पढ़ाने जाते हैं वहां गांव से लगभग 80 किलोमीटर के दायरे में कोई स्कूल नहीं है'. यही वजह है कि लगभग 23 गांव के 36 बच्चे उनके स्कूल में पढ़ रहे हैं. स्कूल जाने के लिए बच्चे हर दिन 4 से 5 किलोमीटर का सफर करते हैं.
बता दें वह गुरुवार की रात ISBT से बस पकड़ते हैं और ऋषिकेश पहुंचते हैं. यहां उनका परिवार रहता है. सुबह के ब्रेकफास्ट करने के बाद वह गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए निकल जाते हैं. बता दें, गुड़गाव से उत्तराखंड की दूरी 370.4 किलोमीटर है और 10 घंटे का समय लगता है.