मध्य प्रदेश के नर्मदा में 28 साल की गोंड आदिवासी महिला के दोनों हाथ-पांव नहीं है, लेकिन उसे पेंटिंग करता देख सब हैरान हो जाते हैं. ये महिला नर्मदा नदी के किनारे रहती है और घंटों अपने दांतों के बीच ब्रश दबाए पेंट कर सकती है.
नरबादिया के अंदर ये टैलेंट बचपन से ही था. अपने छठे जन्मदिन से ही वह गांव में सबके बीच चर्चित हो गई थी. वो पेंसिल को एक लंबी छड़ी में बांधकर अपने दांतों के बीच फंसाती और कई घंटों स्केच करती रहती. उसने कहा, 'मैं बचपन से पेंटिंग कर रही हूं. मेरा सपना है कि लोग मुझे मेरी पेंटिंग की वजह से जाने.' नरबादिया कभी शहर नहीं गई है, बस, वो एक बार अपने भाई के साथ जिला मुख्यालय तक गई है. यहां तक कि वो स्कूल भी नहीं गई है.
यही वजह है कि उसकी पेंटिंग्स में ज्यादातर पेड़, पौधे, जानवर, पक्षी, नदी और भगवान होते हैं. उसने बताया, 'मैं दीयों की रोशनी में पेंटिंग करती है और इससे मेरी आंखें खराब हो गई.' नरबादिया के गांव में बिजली, हैंड पंप, टायलेट और रोड नहीं है. संकरी गलियों से गुजरकर उसका घर आता है, लेकिन फिर भी लोग दूसर से आते हैं और उसकी पेंटिंग को देखकर सराहना करते हैं.
नरबादिया अपने ये काम रात को करती है. उसका कहना है कि रात को हलचल नहीं होती, शांति में काम अच्छा होता है. नरबादिया कई बार भीड़ से बच भी नहीं पाती है, क्योंकि लोग आते हैं और उसकी पेंटिंग खरीदते हैं और उसे उन पैसों की बहुत जरूरत भी होती है. वो अपने भाई को रंग और कागज मंगवाने के लिए ये पैसे देती है.
उसने कहा, 'मैं सप्ताह में 100 से 200 रुपये गांव वालों को पेंटिंग बेचकर कमा लेती हूं. ये पैसे मेरी शैंपू, साबुन और तेल जैसी जरूरतों को पूरी कर देता है.' उसने कहा, 'मेरा बड़ा भाई मोहन सिंह गोंड स्कूल में टीचर था. वो मुझे प्रेरित करता था, लेकिन पिछले साल उसकी मौत हो गई. अब मैं उस दुख से निकल आई हूं.'
नरबादिया का छोटा भाई किसान है. इन्होंने अपने पिता को कई साल पहले ही खो दिया था. नरबादिया का सपना है कि वह दुनिया घूमकर पेंटिंग करे.