दिल्ली सरकार के नर्सरी एडमिशन में मैनेजमेंट कोटा खत्म करने के खिलाफ 15 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार स्मोकिंग, नॉन-वेज जैसी कैटेगरी तो खत्म कर सकती है लेकिन स्कूलों की ऑटोनोमी को वह कैसे छीन सकती है.
अगली सुनवाई 28 को, सरकारी स्कूलों पर पूछा सवाल
मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 5 जनवरी तक हलफनामा देने को कहा है. अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी. तब तक के लिए फिलहाल की प्रक्रिया वैसे ही जारी रहेगी जैसे चल रही है. कोर्ट के आदेश के बाद ही साफ होगा कि 62 कैटेगरी में से कौन-सी रहेंगी और कौन सी हटाई जाएंगी.
साथ ही कोर्ट ने सरकार पर सवाल उठाया कि सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए सरकार क्या कर रही है. क्या सिर्फ प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण ही सरकार के एजेंडा में है?
वहीं प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट मे कहा की दिल्ली सरकार का स्कूलों का कोटा खत्म करने का आदेश हाई कोर्ट के जजमेंट के ही खिलाफ है.
हाई कोर्ट ने पहले कहा था, अपने नियम तय करेंगे स्कूल
स्कूलों ने कहा कि कुछ स्कूल हो सकता है नर्सरी एडमिशन के लिए वो कैटेगरी बना रहे हों, जिन पर सरकार को आपत्ति हो जैसे स्मोकिंग, नॉन-वेज आदि. लेकिन वे माइनॉरिटी स्कूल हैं और उनका प्रतिशत बहुत कम है. सरकार सारे स्कूलों को एक ही लकड़ी से हांक रही है.
मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का दिल्ली सरकार का यह आदेश 2013 में दिए गए LG के आदेश की ही कार्बन कॉपी है, जिस पर हाई कोर्ट खुद आदेश दे चुका है कि सहायता प्राप्त न करने वाले प्राइवेट स्कूल खुद अपने नियम तय करेंगे. वहीं गांगुली कमेटी ने भी इस बात की सिफारिश की थी की प्राइवेट स्कूल की ऑटोनोमी रखनी जरूरी है क्योंकि इससे आगे और अच्छे प्राइवेट स्कूल और क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा मिलेगा.
नहीं है कोटे के दुरुपयोग का सबूत
सरकार ने दावा किया है कि मैनेजमेंट कोटा का स्कूल दुरुपयोग करते हैं लेकिन 2007 के नोटिफिकेशन के बाद से अपने इस आरोप को साबित करने के लिए सरकार के पास कोई सबूत या केस नहीं है.
अगर कोई स्कूल फिर भी कोई गड़बड़ी करता है तो सरकार के पास कानून है उसके खिलाफ करवाई करने का. EWS कैटेगरी में तो लॉटरी निकाली जा सकती है लेकिन बाकी कैटेगरी में इसे लागू करना व्यवहारिक नहीं है. माता-पिता अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा देना चाहते हैं, किस स्कूल में एडमिशन दिलाना चाहते हैं, इस अधिकार को उनसे नहीं छीना जा सकता .
निजी स्कूलों के लिए राहत की बात
गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रवक्ता प्रभाष रमन ने कहा कि कोर्ट ने उनकी समस्याएं समझी हैं और यह फैसला उनके लिए राहत लेकर आया है. वहीं स्कूलों की पैरवी कर रहे वकील कमल गुप्ता ने कहा कि हमारी लड़ाई का मुख्य मुद्दा स्कूलों की ऑटोनमी है. वहीं कोर्ट ने यह सवाला भी उठाया है कि सरकारी स्कूलों पर सरकार ध्यान क्यों नहीं दे रही है.