झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए भोपाल की 9 साल की बच्ची लाइब्रेरी चलाती है. जिसका नाम 'बाल पुस्तकालय' है.
जिस काम को शुरू करने के बारे में बड़े-बड़े लोग सोचते रह जाते हैं. उस काम को अगर एक 9 साल की बच्ची शुरू कर दे तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है. हमारे समाज के वरिष्ठ लोगों की यह कोशिश होती है कि वे एक पुस्तकालय खोलें लेकिन ज्यादातर लोगों का यह सपना अधूरा ही रह जाता है.
मुस्कान अहिरवार 9 साल की हैं. वो तीसरी कक्षा की छात्रा हैं. हर दिन वो 4 बजे शाम में स्कूल से घर आती हैं. उसके बाद अपने घर के बाहर किताबें सजाती हैं, कहानियां सुनाकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं.
सरकार से मिली मदद:
पिछले साल स्टेट एजुकेशन बोर्ड की ओर से उन्हें 25 किताबें दी गई थी. इन किताबों की संख्या अब बढ़कर 119 हो गई है. राज्य शिक्षा केंद्र ने उन्हें पुस्तकालय संभालने की जिम्मेदारी दे दी है. संभवत: मुस्कान भारत की सबसे कम उम्र की लाइब्रेरियन है.