दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को छह माह का समय दिया है कि वे इस अवधि में ऐसा बीएससी कोर्स लेकर आएं, जो डॉक्टरों की अनुपस्थिति झेल रहे ग्रामीण इलाकों में आम बीमारियों के इलाज में आधुनिक दवाओं के उपयोग के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को तैयार कर सके. इसके साथ ही अदालत ने चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा करने में केंद्र और एमसीआई विफल रहते हैं तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.
न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह निर्देश इसलिए जारी किया है क्योंकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ डॉक्टरों की शीर्ष नियामक संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने वर्ष 2010 में अदालत को बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम लाने का जो शपथपत्र दिया था, उसका पालन नहीं किया. यह कोर्स स्वास्थ्यकर्मी तैयार करने और उन्हें ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रशिक्षित करने से जुड़ा है.
अदालत ने कहा कि केंद्र को इस संदर्भ में यदि कोई नया विकल्प उपयुक्त लगता है तो उसे इस विकल्प के साथ एक नया कानून लेकर आना चाहिए. अदालत ने कहा, 'इस अदालत की राय में, एक बार जब केंद्र सरकार ने बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम लाने का शपथपत्र दे दिया है तो फिर इसे आगे बढ़कर पाठ्यक्रम को एक दृढ़ वैध आधार देना चाहिए और इसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्थानों और विश्वविद्यालयों में लेकर आना चाहिए. इसके साथ ही केंद्र को यह कोर्स लागू करने में राज्य सरकारों को भी मदद देनी चाहिए.'
इनपुट: भाषा