बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के बगैर छात्रों को दाखिला देने वाले डॉ. एमसी सक्सेना कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने इस कॉलेज में दाखिला ले चुके 150 स्टूडेंट्स के लिए मुआवजा राशि तय की है.
कोर्ट ने उन्हें स्टूडेंट्स का साल बरबाद करने का दोषी मानते हुए हर स्टू़डेंट को 25-25 लाख रुपये अदा करने को कहा है. हालांकि कोर्ट ने दूसरे कॉलेज में दाखिले की छात्रों की गुजारिश को ठुकरा दिया. कोर्ट ने कहा कि स्टूडेंट्स ने ऐसी कोई अंडरटेकिंग नहीं दी है जिसमें उनके एडमिशन का भविष्य कोर्ट के आदेशों पर निर्भर किया.
संस्थान ने साफ-साफ धांधली की...
हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने यह फैसला दौडिया नारायण दिलीपभाई, स्मृति गंगवार, दीप्ति सिंह, रोशनी सक्सेना, अंशधा सिंह, असीम की याचिका पर दिया. उन्होंने कहा कि कॉलेज के पास न तो मान्यता थी और न ही यूपी स्टेट यूनिवर्सिटीज एक्ट 1973 के सेक्शन 37 के तहत संबद्धता ही थी. इन दोनों के बिना कोई भी कॉलेज किसी स्टूडेंट को एडमिशन नहीं दे सकता.
इस मामले में सिर्फ डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी-फैजाबाद ने कॉलेज को संबद्धता देने की सैद्धांतिक सहमति दी थी. इसके आधार पर एडमिशन दिए गए. यह सीधे तौर पर धांधली है और स्टूडेंट्स के करियर के साथ खिलवाड़ है. कॉलेज ने एडमिशन के लिए हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों के बाद 27 दिसंबर को अखबार में एडमिशन का विज्ञापन निकाला और अगले ही दिन काउंसलिंग कर सारे एडमिशन कर डाले.